यदि आपके ज्योतिष गणना के अनुसार शनि की साढ़ेसाती है तो भी उसमे डरने या घबराने जैसा कुछ भी नहीं है। ये दौर हर के जीवन में एक बार तो आता ही है। शनि की साढ़ेसाती कितने वर्ष की हैं ।
आपको क्या भोगना पड़ रहा है ये बात जरूरी नहीं है बल्कि ये बात जरूरी है कि आप के अंदर कितनी purity हैं आप बाहर से जैसे दिखाई देते है वैसे ही आप अंतर्मन से भी वैसे हैं क्या? Means Nature of Transparency!
दान पुण्य कर्म करने का और दूसरो को मदद करने का दिखावा, ढोंग तो नही रच रहे हो? क्या आपने किसी से भी हेराफेरी करके किसी को किसी तरह से तो नहीं लूटा? किसीको छला या सताया तो नहीं?
आपने किसी की बददुआ तो नहीं ली है? ये सब बातें मायने रखती हैं आप ने ये सब किया है या नहीं किया है पहले स्वयं को अवलोकित करिए फिर खुद ही जान जाओगे कि आप शनि देव आपको दंडित करेंगे या नहीं करेंगे?
नीचे जो भी जानकारी दे रही हूं यह मेरी खुद की अवलोकीत अवधारणा है जो मैने अपने जीवन में अनुभव किए वही साझा किया है इसका ज्योतिष गणना या किसी और से कोई लेना देना नहीं है।🙏🙏

ॐ शनिदेव नमः
शनि की साढ़ेसाती को जीवन की एक परीक्षा की तरह मानिए और जिस तरह परीक्षा में कठिन प्रश्न के उत्तर के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती हैं अच्छे नंबर के लिए वैसे ही इसे जीवन की कठिन परीक्षा की तरह खुदको mentally physically prepared कीजिए और इसे सरलता और सुगमता से पार कर लेंगे।
यहां शनीदव आपके परीक्षक है आप एक average student हो और परीक्षा केंद्र ये दुनियां। दुनियां के इसी रंगमंच पर आपके शिक्षक यानी शनीदेव अच्छी तरह से जानते है आप किन किन विषय में कमजोर हो उसपर वह आपकी कठिन परीक्षा ले सकते है। परीक्षा आपका जीवन में होने वाली घटनाएं और आप उन घटनाओं को जितना ईमानदारी से face करेंगे उतना ही आपको पीड़ाओ से होने वाले दर्द का एहसास कम हो सकता हैं।
यदि आप परीक्षा में नक़ल करते हैं यानी आपके जीवन में आप और बुरे कर्म करते जा रहे हैं तो आपको परीक्षा देना और कठिन महसूस हो सकता हैं। यानी आपके लिए और दंड भोगने पड़ेंगे जीवन में और भी मुश्किल समय और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हैं।
तो यहां रही बात साढ़ेसाती के आखरी चरण की यदि आपने सचाई से ईमानदारी से परीक्षा दी है तो शनिदेवता जो परीक्षक है वह आपको ढेर आपके जीवन को ढेर सारे ज्ञान से भर देंगे। परीक्षक शनिदेवता आपको पास कर देंगे यानी आपके जीवन में सकारात्मक घटनाएं हर्ष उल्लास, खुशियां और सफलताओं से भर देंगे।
मेरे लिए तो बहुत ही सीधा सरल और सच्चा ग्रह है यदि यह ग्रह ना हो तो दुनिया में तो पाप का तो अंबार लग सकता है और पापियों की तो फिर चांदी ही चांदी।
क्यों मैने सच कहा या नहीं? या हम मनुष्य को realize भी कैसे हो कि क्या सही क्या गलत इसलिए ईश्वर की रचना जो भी हुई है वह हम मनुष्य के हित के लिए ही घटित हुई है।
पर जब शनिदेव के लिए लोग बिना सोचे समझे कुछ भी कहते है तो बड़ा असमंजस सा लगता है। ऐसे लोग जो खुद की खामियों को तो समझते नहीं और खुद के बुरे वक्त का रोना शनि की साढ़ेसाती से जोड़ देते हैं।
सुनकर भी बड़ी असुविधा होती हैं ठीक है माना कि शनिदेव एक सख्त गुरु है। वे आपको किसी भी तरह की short cut लेने की अनुमति नहीं देते हैं।
यही कारण है कि जब भी आप शनिदेव की महादशा में प्रवेश करते हैं तो आपकी सख्ती से परीक्षा शुरू हो जाती हैं। इसमें से गुजरने वाले व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती का रोना रोने से बेहतर है खुद की search history निकाले खुद के कर्मों की कह रही हूं मैं! खुद की गलतियों को सुधारने की कोशिश में लग जाए साथ ही बुरी आदतों को त्याग कर अच्छी आदतों को अपनाया जाए।
मान लो कोई सख्त टीचर हैं वह student की गलतियों को सुधारकर उसे सही रास्ते पर लाए साथ उसकी छिपी हुई खूबियों को तराशकर बाहर निकाल दे।
उसे एक अच्छा और सच्चा इंसान बना दे और उसका सम्पूर्ण जीवन बदलकर उसके जीवन को खुशियों से भर दे तो इसमें बुराई क्या है। यही तो करते शनिदेव शनि की साढ़ेसाती में कोयले को तराशकर हीरा बना देते है।
इसीलिए शनिदेव की कृपा को आभार मानते हुए ॐ शनिदेव नमः का हमेशा ध्यान कीजिए।
शनिदेव न्याय
शनिदेव हमे हर विकल्प देते है यह हम पर निर्भर है हम कौनसा चूने और हम जो चुनते है । जिन्हे आदत बनाकर जीवन में रूपांतरित कर लेते है जीवन की दिनचर्या में शामिल कर लेते है यही कर्म कहलाते है। कहने का तात्पर्य यही है कि कर्मकर्ता हम है तो भोगना भी कर्मकर्ता को ही है। आइए जानते हैं ऐसे कौनसे आदतें है ।
- आप पर जो आश्रित हैं छोटे मोटे कार्य करके या जो आपकी सेवा करते है । जो आपकी दी हुई पगार पर आश्रित हैं जैसे इस्त्री वाले, गाड़ी धोने वाले, घर का काम करने वाली महरी, नौकर इत्यादी को महीने की एक तारीख या समय पर पगार दे दीजिए। वे आपसे बार बार पगार मांगते रहे और आप उनको टालमटोल करते रहे ऐसा मत करिए। कोई दूसरा भी ऐसा ही आपके साथ कर सक्ता है because Karma’s return, शनिदेव को भी अप्रिय है ऐसे लोग जो जरूरतमंदों को सताते हैं।
- कई लोगों की आदत होती हैं चलते फिरते कही भी थूकने की कभी सीढ़ियों पर, कभी सड़को पर, खिड़की के बाहर कभी भी किधर भी थूकते रहेंगे। कई ladies की तो यह भी आदत होती हैं किचन के सिंक में बर्तन पड़े रहेंगे तो बर्तनों पर भी थूक देती हैं । शालीनता से washbasin में थुकिए। ऐसे लोगों पर भी शनिदेव अप्रसन्न हो सकते हैं।
- जो लोगों को सफाई में रहना पसंद नही जिन्हे खुदके शरीर को साफ रखने में भी आलस आता हो। जिनके मूंह से और शरीर से गंदी बदबू आती हो । घर में गंदे कपड़ो का जमावडा हो, बिखरा हुआ सामान, घर में और घर के बाथरूम भी गंदे पड़े हो । खुद भी मैले कपड़े पहनने के आदि हो ऐसे लोगों से भी शनिदेव अप्रसन्न हो सकते है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
- यदि आप का व्यवहार हर एक के साथ विनम्र और कृतज्ञ है किसी से भी कटाक्ष या व्यंग्य से नहीं कहते हो।
- यदि बिना कोई लालसा के नेक इरादो के साथ शनिदेव की आराधना एवम दूसरे लोगों की निस्वार्थ सहायता करते हो तो।
- वृद्धाश्रम या कुष्ट्रोगियो की सेवा केवल शनि की साढ़ेसाती में ही नहीं बल्कि हमेशा से निस्वार्थ भावना से करते आ रहे हो तो।
- यदि गरीबों, भूको को , खाना कपड़ा जैसे जरूरत की चीजे बांटने की यदि आपकी पहले से ही प्रवृत्ति हो तो वह भी बिना शोरशराबे दिखावे के।
- नंगे पैर चलने वाले लोगों को चप्पल खरीदकर पहनने देने की सहायता कर उनकी होनेवाली असुविधा मे सहायता करते हो तो।
- गरीब जरूरत मंद को खाने का तेल खरीदकर दीजिए क्योंकि ये गरीब जब इसमें खाना पकाकर खायेंगे तो जो positivity create होगी वह आपको मिल सकती हैं।
Conclusion
Shanidev Ko kaise kare Khush शनिदेव से डरे नहीं, अपने कर्म सुधारे में सटीक जानकारी दी गई है ये सब करते हुए , ये भी ध्यान रखिए कि कभी भी दान धर्म का कार्य करते है वह सिर्फ ईश्वर और आपके बीच में ही ये बात रहनी चाहिए आप prapoganda करके कितना भी दान कीजिए उसका पुण्य फल कभी प्राप्त नहीं हो सकता है।