कोई भी मंत्र आपकी इच्छा अनुसार चुनाव करने के बाद सबसे पहले मंत्र जप शुरू करने से पहले मन ही मन ये संकल्प जरूर करे साथ ही ईश्वर से प्रार्थना करें कि इस मंत्र सिद्धि से जो भी शक्ति प्राप्त होगी वह किसी के भी अहित के लिए उपयोग बिलकुल नहीं करेंगे चाहे वो कोई दुश्मन ही क्यों ना हो।
मंत्र से जो ऊर्जा शक्ति positivity प्राप्त होगी वह स्वयं एवम दूसरो की भलाई के कार्य में मानव कल्याण के उद्देश्य से उपयोग करेंगे। किसी स्वार्थ वश उपयोग हेतु कदापि न करने से ये शक्ति या positive energy का संचार होगा वह विस्तृत होकर बढ़ता ही जाता हैं।
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मंत्र के पावर बढ़ने के साथ आप देखेंगे कि जीवन में एक एक चमत्कार होते जा रहे हैं। कई वर्षो से आपकी कोई इच्छा रुके हुए काम सब आसानी से होते जा हैं। आंतरिक और बाह्य शांति की प्राप्ति के साथ मुख पर संतुष्टि ओजस और तेज हर किसी को दिखाई पड़ सकता है।
आभा मंडल या aura का विस्तार होने से आध्यात्मिक मार्ग पर भी स्थाई रूप से प्रशस्ति का मार्ग मिल सकता है।

मंत्र सिद्ध होने के बाद क्या होता है
- मंत्र विज्ञान एक अनूठा रहस्य है चूंकि यह भी एक विज्ञान है मंत्रो को पारलौकिक शक्तियों, सिद्धियो से, कुण्डलिनी, नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता रहा है। ऐसी ही विचित्र चर्चाओं के कारण मंत्र सिद्ध होने पर क्या होता है? ये विषय एक रहस्यात्मक मोड पर आकर रुक जाता है। इंसानी दिमाग का भी क्या कहने लोगों को मंत्रो की ऊर्जा के पीछे छीपा चमत्कार, उत्सुकता, डर, उत्साह , भविष्य की जानकारी में दिलचस्पी, जैसे विचारों का आवागमन शुरू होने लगता है।
- यदि आपसे तकनीकी तौर पर एक बात मैं आपसे सच में कहूं तो मंत्रो के प्रत्येक अक्षर से निकलने वाली ऊर्जा जब इन ग्रंथियों के चक्र से टकराती हैं तो एक स्पंदन vibration शुरू हो जाता है। यही स्पंदन चक्रों से टकरा टकरा कर इन चक्रों और ग्रंथियों को ध्वस्त कर देता है। इन सुषुप्त शक्तियां के स्थानों को और ऊर्जा को सक्रिय कर देती हैं। हर चक्र की अपनी एक अलग ही ऊर्जा शक्ति और महत्वपूर्ण आवरण होता है। जैसा जिस साधक की श्रद्धा विश्वास एवम मंत्र उच्चारण की सीमा समय के अनुसार चक्र जागृत होने लगते हैं। यदि साधक सात्विक और divine Mantra जप करते है तो इससे सूक्ष्म इंद्रिय, glands active होने के कारण इनके गुणों और स्वरूप के अनुसार ऊर्जा पूरी शरीर में स्त्रावित होने लगती हैं।
- हमारे शरीर के भीतर बार बार मंत्र जपने से चक्र और ग्रंथियों active होने की universe की इस अद्भुत शक्ति जो मनुष्य को जन्म से कुदरत ने बहुत ही कीमती उपहार दिया है। ऋषि मुनि ने इस असीम कुदरती अद्भुत क्षमता को पहचानकर ही उसके अनुसार ही शब्दों द्वारा रचित मंत्रो का निर्माण किया है। अध्यात्म ऐसा परिपक्व पथ है जिसमे हर action के साथ reaction आएगा ही, यह इस बात पर depend करता है कि किस तरीके से, किस उद्देश्य से मंत्र को जपा गया है। सात्विक या असात्विक जिसने जो तरीका अपनाया उसने वैसा ही परिणाम पाया। मेरे कहने का तात्पर्य यही है कि कुछ भी खाली हाथ नहीं जाता , मकसद पूरा होगा ही अध्यात्म द्वारा कभी किसी साधक की झोली खाली नहीं रहती।
- सभी साधक को अलग अलग अनुभव भी हो सकते हैं । मंत्र सिद्ध होने मे भी हर साधक को अलग अलग समय भी लग सकता है। मंत्र इतने समय में या इतने ही मंत्र जप द्वारा मंत्र सिद्ध हो सकता है ऐसा कोई किसी के लिए भी निश्चित मापदंड नहीं है। आजकल video या social media के माध्यम से लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। इतने मंत्र जप करें तो सिद्ध हो सकता है चमत्कार होगा ऐसा हर एक साथ हो जरूरी नहीं है। ये भी जरूरी नहीं कि बहुत ज्यादा मंत्र जपने से मंत्र सिद्ध हो कभी कभी कोई साधक की चेतना जागृत हो और पूर्व जन्म में किए गए जप से already सिद्धि मिली हो तो ऐसे साधक को तुरंत ही शुभ परिणाम दिखाई दे सकते है।
- जहा तक यदि आप मंत्र सिद्धि से अनुभव की बात करेंगे तो हर साधक को अलग अलग अनुभव हों सकते हैं। वैसे यदि शुद्ध मन, शुद्ध विचारो के साथ और उचित उद्देश्य हेतु मंत्र जप किया जाए तो कुछ दिनों में ही छोटे मोटे अनुभव तो होने ही लगते हैं जहा तक मैने खुद अनुभव किया है। ईश्वर के साथ आत्मीयता में साधक की पात्रता और शारीरिक सुंदरता तो नही पर स्वच्छता भी इसमें मायने रखती है। आपके अंदर ईर्ष्याभाव वैमनस्य लालसा ना हो।
- मंत्र जपते जपते भी और मंत्र सिद्ध होने के बाद भी आपके भीतर असीम शांति और सुकून का अनुभव आप कर सकते हैं। अच्छा मैं एक बहुत अच्छी बात बताती हूं जो शायद आप खुद भी आपके जीवन में शायद समझ नहीं पाए होंगे मंत्र जपने से जो ऊर्जा निर्माण होती है । उससे हमारे aura या आभामंडल का दायरा काफी विस्तृत हो जाता है तो इस positivity के कारण जो लोग आपसे ऊपरी तौर पर दिखावे का रिश्ता रख रहे हैं आपसे बहुत अच्छा व्यवहार मीठा बोलकर दिखावा करते हैं और अंदर ही अंदर आपसे ईर्ष्या भाव रखते हैं। मन ही मन आपसे हीन भावना घृणा करते और आपका सदैव अहित चाहने वालों को ये ऊर्जा शक्ति से ऐसे लोग अपने आप ही कोई ना कोई कारण से अपनेआप ही आपसे disconnect होकर हमेशा के लिए दूर चले जा सकते है। साथ ही मजेदार बात ये भी हो सकती हैं कि जो लोग आपका अच्छा चाहते आपको आपके जीवन में या आध्यात्मिक राह पर आगे बढ़ते हुए देखना चाहते ऐसे लोग आपसे हमेशा connected रहे। कभी कभी positivity से अनजाने और अजनबी लोग भी हमसे जुड़ जाते है जीवन में हमारे उद्देश्य पूर्ण करने हेतु।
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मंत्र उच्चारण करते करते जब अच्छे से याद हो जाता हैं तो यह एक संगीत की तरह एक लय में मन ही मन अपनेआप चलने लगता हैं। जिसे हम अपने आंतरिक मन में एक rhythum की तरह गुनगुनाने लगते है।
ऐसे अवस्था में मंत्र से संबंधित शक्तियां बहुतायत से उत्पन्न होने लगती हैं। हमारे बर्ताव व्यवहार में बदलाव आने लगता है। नवजीवन नवीन उर्जा से ओतप्रोत होने के कारण शक्ति स्फूर्ती का आभास होने लगता है।
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मंत्र सिद्ध होने के लक्षण क्या हैं?
मंत्र उच्चारण सुनने मात्र से आत्मा में शांति रोमांच की अनुभूति के साथ मन और विचार निर्मल कोमल शुद्ध होने लगते है।
- Face reading and aura reading आने लगती हैं।
- किसी भी व्यक्ति के मन की भावना को और intension का आसानी से पता चल सकता है।
- Body का energy level high होने से फुर्ती से हर काम निपटा सकते हैं।
- कहीं भी किधर भी जाए हर जगह पर साधक की positivity से सहज ही हर कोई आकर्षित भी होता है और खींच कर चला भी आता है।
- कठिन से कठिन कार्य में साधक ना विचलित हो सकता ना घबराता है सुगमतापूर्वक हर कठिनाई पार कर जाता है।
- कोई भी अनहोनी दुर्घटना का आभास साधक को होने से पूर्व ही पता चलने से सतर्कता बरतते हुए दुर्घटना को टाला भी जा सकता है।
- साधक के जीवन में चाहे सुख आए या दुःख साधक मंत्र जप से साधना करते हुए स्वयं को हर हालात में balance करना सीख जाता है।
- आप दूसरो का भविष्य भी बता सकते हैं, दूसरो को कोई दुख परेशानी हो तो उसे solutions भी बता सकते हैं इस तरह आप लोगों का मार्गदर्शन कर उनके दुखो को दूर कर सकते है । जैसा मुझे अनुभव हुआ और मैं जैसे मदद करती हूं वहीं सच मैं आपसे share कर रही हूं।
- आपके शरीर में कोई रोग विद्यमान पहले से है वह शनै: शनै: मिट भी सकता है और ये भी संभावना है कि आपको कोई रोग हो ही नहीं।
- जीवन में किसी बात पर बहुत समय से सफलता के लिए इंतजार करते आ रहे थे हो सकता है सफलता के अवसर प्राप्त होंगे।
- बोलने चालने के तरीके में बदलाव आने के साथ वाणी में माधुर्य , शालीनता और प्रभावशाली आ सकती हैं।
- पूर्व जन्म में और इस जन्म में किए गए जाने अंजाने पाप कर्म मिट सकते है। Presently किस तरह से balance रहकर कर्मो के बोझ का ना बढ़ाए इसका आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती हैं।
- यदि nonveg खाने की आदत हो तो हो सकता हैं आप को veg खाना ही पसंद आए और आप nonveg खाना हमेशा के लिए छोड़ सकते है।
- शराब, सट्टा जुआ, ताश खेलने के अवगुण हो तो हो सकता हैं आपको खुदको ही घृणा महसूस हो सकती हैं और आप स्वयं ही सब छोड़ दें।
- मंत्र जप चाहे आप वह एक जगह बैठकर कर रहे हैं या कुछ कार्य करते हुए भी अंतर्मन में जप चल रहा हो तो भी एक शीतलता का अनुभव हो सकता है।
- किसी के साथ भद्र व्यवहार, भद्र शब्दो को इस्तेमाल करने या किसी का भी तिरस्कार या अपमानित करने का मन आपका कदापि नहीं करेगा।
- जो चीज खाने से आपको कोई रोग हो सकता हैं या हानि पहुंच सकती हैं शरीर को ऐसी वस्तु को खाने का आपका बिलकुल भी मन ही नहीं करेगा, पर ऐसी चीजे जो आपको बेहद पसंद थी उसमे भी आपको खाने की रुचि कम हो सकती है।

Conclusion
मंत्र सिद्ध होने के लक्षण है ये हर साधक को जीवन में कभी ना कभी अनुभव हो सकता है। मंत्र को इच्छा पूर्ति का साधन नहीं बनाना चाहिए क्योंकि जिनका पूर्ण समर्पण भाव नहि होता ऐसे साधक आध्यात्मिक के उच्च शिखर तक नहि पहुंच पाते वे थोड़े ही सफल होते और आगे उनकी सफलता पर कुदरत विराम लगा देती है। इसलिए मंत्र सिद्धि करने के लिए जो भी मंत्र जाप करें वह निश्चल और पवित्र भावना से ही करे।
आपको मेरी यह सच्ची जानकारी जो कि कोई महानुभाव ने शायद ही share की होगी और यह सब मेरा खुद का आध्यात्मिक अनुभव है आपको कैसे लगा जरुर comments करके बताइए।
🙏🙏🙏🙏🙏धन्यवाद
हरे कृष्ण राधे कृष्ण
ॐ नमः शिवाय