क्या प्रारब्ध की धारणा से व्यक्ती अकर्मण्य बनता है प्रारब्ध कर्म क्या हैै?कर्म मुक्ति या खुद ही बंधे हैं, खुद ही मुक्त होंगे

प्रारब्ध पूर्व जन्म में किए गए कर्मों को प्रारब्ध कहते हैं। जिसे लोग भाग्य के नाम से भी जानते हैं। मनुष्य नित्य कुछ ना कुछ कार्य करते ही रहते हैं जिसे कर्म कहते है। अच्छा कार्य करने से अच्छे कर्म और बुरा कार्य करने से बुरे कर्म बनते हैं।

प्रारब्ध का अर्थ

ईश्वर ने मनुष्य को पूर्ण छूट दी हैं वह चाहे जेसेकर्म करे अपनी ईच्छा अनुसार । Free wheel है स्वयं ले सकते हैं। मनुष्य जैसे कर्म करते तद्नुसार उनके संस्कार बनते रहते हैं और वैसे ही स्वाभाव की रूपरेखा तैयार होना शुरू हो जाती हैं। जाहिर है जैसे कर्म होंगे वैसे ही सुख दुःख भी भोगने पड़ते हैं।

प्रारब्ध कर्मों से आज तक कोई बच नहीं पाया चाहे वह अच्छे हों या बुरे हर कोई इस पृथ्वी पर जन्म इस उद्देश्य से ही लेता है ताकि कर्मों के चक्रव्यूह से मुक्त होकर कर्मों के लेन देन के हिसाब को पूर्ण रूप से खत्म कर मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सके। कभी कभी जानें अनजाने ऐसे कर्म भी कर लेते । कई बार अच्छे बुरे का एहसास भी नहीं हो पाता कर्म बन्धन में बंध जाते। या किसी के लिए बुरा मन में बुरे और कुविचार से भी कर्म बन जाते है।

प्रारब्ध भोगने के तीन तरीके होते है

मंद प्रारब्ध

जो ईश्वर की आराधना भक्ती करने मात्र से ही मिट सकती हैं। जो साधक की ईश्वर के प्रति भक्ती श्रध्दा और समर्पण भावना होती हैं उनकी ये प्रारब्ध कर्म आसानी से ईश्वर कृपा से ये कर्म भोग खतम हो सकता हैं।

तीव्र प्रारब्ध

तीव्र प्रारब्ध में पिछले जन्म के तीव्र कर्मों के कारण भोगने के लिए सिर्फ भुगतने से ही नहीं नष्ट हो जाते अपितु इसके साथ ही ध्यान की गहराई में उतरकर गहरे ध्यान साधना द्वारा या बहुत अत्यधिक मंत्र जप से मुमकिन हो सकता हैं। यदि खुशकिस्मती से कोई सच्चे गुरु मिल जाए तो गुरु मार्गदर्शन पर चलकर भी प्रारब्ध को नष्ट हो सकते हैं।

प्रारब्ध कर्मभोग

इच्छित प्रारब्ध

इसका अर्थ है ऐसे कार्य या कर्म जो हम हमारी पसंद का खुशी से करते हैं। हमारी ईच्छा रहती है हमे करने में आनंद और मन में संतोष महसूस होता हैं।

परेच्छा प्रारब्ध

जो दुसरो के लिए किए गए हों उनके हित के लिए कोई भलाई का कार्य या कर्म किया जाए। संपूर्ण मानव जाति की भलाई के लिए , मानव जीवन में मार्गदर्शित के उद्देश्य से निस्वार्थ भाव से सेवा की जाती हैं। जैसे कोई महान गुरु कोई pure positive soul ही ऐसे महान कार्य करते हैं। ऐसे लोगो को ईश्वर की महान पुण्य की प्राप्ति होती हैं।

गरीबों को दान पुण्य करना भी एक पुण्य कर्म है। पर दुसरो को मदद के लिए किए गए दान कभी भी गुप्त तरीके से करना चाहिए। Ego नहीं आना चाहिए दान करते हुए नही तो यह तीव्र प्रारब्ध में convert हो सकता हैं।

ईश्वर किसी भी जीव का नियामक या नियंता दोनों हैं। ईश्वर किसी भी जीव के प्रति ना कठोर है ना ही दयालु हर जीव अपने कर्मानुसार फल पाता है इसमें भगवान की कोई भी व्यक्तिगत आक्षेप या हस्तशेप नहीं हो सकता हैं।

अति तीव्रतम प्रारब्ध

जो कर्म सिर्फ भोगने के बाद ही समाप्त हो सकते हैं जिनका दूसरा कोई विकल्प नहीं। यदि एक जन्म मे समाप्त नहीं हो पाता तो बार बार जन्म लेना पड़ सकता हैं इस प्रकार के प्रारब्ध कर्म को समाप्त करने के लिए। यदि नियमपूर्वक ध्यान साधना करते तो ईश्वर आपको उसे भोगने और उस यातना दर्द सहन करने की क्षमता देते है।

कर्म फल सिद्धांत

यदि कोई व्यक्ति आपको dominate कर रहा है इसका अर्थ है आप उसे allow कर रहे हो उस व्यक्ती से आप emotinally attached हो। Sub conscious level पर आपके aura energy enter कर रहीं हैं। आप physical body से नहीं mental body से detached होइए।

दुसरो के कर्मो की सजा हमे क्यों मिलती हैं?

क्या आपने ऐसा कभी सोचा क्यों होता हैं ऐसा?

दूसरा आपको सता रहा है तो भी आप उससे attached रहते हो क्यों? सोचिए सोचिए इस बात में बहुत गहराई हैं।

चलिए आपको बता देती हूं। यह सिर्फ़ हमारे लगाव के कारण होता हैं। हम उस व्यक्ती से हर वक्त मानसिक तौर पर जुड़े रहते हैं। जरुर नहीं की प्यार के या अच्छे ही emotions हो कभी कभी जो हमे तंग कर रहा परेशान कर रहा हम उस व्यक्ती के बारे में ही विचार करते रहेंगे और मानसिक रूप से जुड़े रहते है। Negative emotions से connect रहे या positive emotions से आप कुछ भी नहीं करों तो भी automatically vibration transfer exchange होने लगते हैं और यही हैं जुड़े रहने के कारण

और भी details में video में बताया आप video जरूर देखिए आपको सबकुछ समझ आएगा ।

कर्म मुक्ति; खुद ही बंधे हैं खुद ही मुक्त होंगे

Attachment किसी से भी किसी प्रकार का रखना। चाहे आप किसी से रखे या आप से कोई रखे इसका साफ अर्थ है उम्मीद रखना । अपेक्षा रखना जो चाहते वह करके दे और जब ये अपेक्षा पूरी नही हो पाती तो यही से दुःख और क्रोध की शुरुआत हो जाती हैं।

Emotional connection चाहे वह प्रेम की उम्मीद के लिए या अपना हक या अधिकार पाने के लिए हो या Protection के लिए ही सही emotionally connect है। इतना गहराई तक हो सकती हैं ये सब भावनाएं कि इनसे detachment तो असंभव सा ही है।

इसी Emotional attachment के कारण उस व्यक्ती से हमारे कुदरती संबंध बन जाते हैं। दिल दिमाग मे उसकी अस्तित्व की छाप इस तरह छा जाती हैं कि हम उससे एक अदृश्य बंधन में बंध जाते हैं।

ये बंधन ऐसे बंध जाता हैं कि हम खुद उस व्यक्ती के मोहपाश में बंधते चले जाते हैं और ऐसे बंधन में खुद को बांध लेते है। मुक्त होने की इच्छा ही नहीं होती उसीसे से बंधे रहने में आनंदित होते और यहीं से शुरू हो जाता कर्मबंधन।

जरूरी नहीं कि किसी से प्रेम हो तो ही बंधा हो कोई कोई बंदे दुनियां में ऐसे जिनमें क्रोध और बदले की भावना दिल के अंतिम सतह तक छिपी होती हैं। उनका उद्देश्य कहिए या मकसद बदला लेना होता है ऐसे बंदे भी मानसिक रूप में बदले की भावना के कारण दूसरे से जुड़े रहते हैं। यह भी एक प्रकार का कर्मबन्धन ही है।

इस प्रकार जाने अंजाने चाहे अच्छे या बुरे उद्देश्य से व्यक्ती दूसरे व्यक्ती से जुड़ा रहता है। उसके मस्तिष्क में भी निरंतर उसके विचार का आवागमन चलने से mentally attached हो ही जाता हैं। कुदरत का तो नियम ही है आप जिनसे भी जुड़े जो भी कर्मो से उनके automatically आप energy, emotion and vibration खुद मे transfer कर रहे हैं।

अब जब transformation शुरू कर लेते है तो आप उसके अच्छे बुरे कर्म के भागीदार अंजाने में ही बन जाते है।

पहले आप दूसरे बंदे से emotionally attached होकर mentally connect हुए फिर energy से भी connect जिसका परिणाम कर्मो का बहीखाता हमारा खुलता जाता हैं नया और ये सिलसिला जन्मोजनमंतर तक बढ़ने लगता हैं।

अब ये सब घुमावदार प्रक्रिया जो हमे मुक्त भी नही होनी देती ना ही कर्म कम कर पाते हम खुदके तो इसका एक ही रास्ता है आपको बताऊं Detachment.

Forgive And Forget का ये एक formula हर एक के साथ अपनाया जाय तो ही emotinal के मायाजाल से बचा जा सकता है।

कर्मफल का सिद्धांत कर्म करते जाए ताकि कर्म का बोझ कम होकर मुक्ति मिल सके। ना किसी से अपेक्षा रखे ना उम्मीद क्योंकि जहां होगा ये वहा दुःख अपना पैर पसारेगा।

Conclusion

मैनेआपको प्रारब्ध के प्रकार और किस प्रकार से भोगने पड़ते हैं वह बताने की कोशिश की हूं। प्रारब्ध की मार ही ऐसी है इससे कोई भी जीवात्मा बच नहीं सकती हैं। इसीलिए कोशिश कर सकते है कि हम सदा अच्छे कर्म ही करे नही भुग्त भोगी तो हमे ही बनना होगा।

कर्म मुक्ति के बारे में भी समझाने की कोशिश की हैं ये मेरा अपना अनुभव शेयर की हू। 30 साल का मेरा ध्यान की गहराई में उतरने के बाद मुझे जो बात कुदरत के नियम के अनुसार सच लगा वही बताया ताकि दूसरे लोगों को भी मार्गदर्शन मिल सके।

अच्छे लगे हो तो pls like जरूर करें। आप चाहो तो mail भी कर सकते हैं। Swahaam द्वारा sarvamangalye kalpvriksh यंत्र बना कर दिया जाता हैं जो आपकी सारी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकता हैं।

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jai shree krishna

ॐ नमः शिवाय

Seven Chakras Secrets Reveal सृष्टि के समस्त शक्तियों का केंद्र है शरीर के सात चक्र

हमारे शरीर में सात मुख्य चक्र विद्यमान हैं। यह हमारे शरीर के अलग अलग भागों में स्थित हैं। हर चक्र की अपनी ऊर्जा शक्ति है। इन्हीं चक्र की ऊर्जा पर ही हमारा जीवन आधारित हैं। इन्हे सृष्टि के समस्त शक्तियों का केंद्र भी माना जाता हैं। इन्हीं सातों चक्र मे मुनष्य की चेतना विद्यमान हैं। कोई भी चक्र यदि असंतुलित है तो इसका सीधा असर हमारे जीवन के संतुलन पर भी पड़ सकता हैं।

मुलाधार चक्र

यह चक्र हमारे शरीर के रीढ़ की हड्डी में स्थित हैं। It is situated at the base of coccyx. यह शरीर का पहला चक्र हैं। यह अवचेतन मन से जुड़ा हुआ है यहां पर हमने जो पिछले जन्म में जो अच्छे बुरे कर्म किए वह इसी चक्र में संग्रहित रहता हैं। जिसका प्रतिफल हमे जन्म जन्म में भोगना पड़ता है ।

Universal law के अनुसार हमारा future हमारी destiny इसी चक्र पर आधारित हैं। इस चक्र पर हमारे व्यक्तित्व विकास की नीव टिकी हुई है। यदि हमारी विकास में रूकावटे आ रही हैं हमे financial problems life मे हैं इसका कारण मूलाधार चक्र मे ब्लॉकेज हैं।

जीवन भर भोग आनंद निद्रा की तृप्ति को ही जीवन की प्रधानता मानते हैं उनकी चेतना इसी चक्र में अटकी रहती है। ऐसे लोग इसी चक्र में जन्म लेते और इसी चक्र में मृत्यु हो जाती हैं। तत्व का अर्थ एवम संबंध मां से है जो हमे जीवन ऊर्जा भोजन शक्ति सब कुछ देती हैं।सात चक्र और उनके स्थान का ये पहले चक्र का तत्व पृथ्वी तत्व हैं।

स्वादिष्ठान चक्र

swadishthan chakra is situated at the lower end of the sacrum. मनुष्य की चेतना का विकास इसी चक्र से होता हैं। अवचेतन मन के रहने का स्थान है। जहा पर हर मनुष्य के experience, impressions सभी store किए हुए रहते है। जब जीवात्मा का जीवन मां के गर्भ में शुरू होता है इसी चक्र में चेतन अवचेतन मन की सभी घटनाएं जमा हो जाती जन्म के वक्त से ही।

We have not only physical body we also have more bodies

जिनकी ऊर्जा शक्ति इस चक्र पर केंद्रित रहती वे केवल घूमना फिरना, मनोरंजन life is only to enjoy उनके जीवन का यहीं फंडा होता हैं। मौज मस्ती में ही अपना जीवन व्यतीत कर लेते हैं और अंत में धन और मन दोनों से खाली हो जाते है।

स्वादिष्ठान चक्र का तत्व है जल। जल जो अस्थिर रहना मूल स्वभाव हैै। जेसे पानी नियंत्रण में रहे तो वह अमृत है पर अनियंत्री्त जा ये तो बड़े बड़े बड़े प्रलय भी हो सकते है। ऐसे लोग जिनकी ऊर्जा इस चक्र पर केंद्रित हो उन्हे खुद पर self awareness and self control होना जरूरी है चाहे मनचाहा मनोरंजन ही हैं ।

मणिपुर चक्र

यह हमारे शरीर का तीसरा चक्र हैं। It is situated at the back of the naval. जिन लोगों की ऊर्जा शक्ति इस चक्र पर केंद्रित रहती हैं उन्हें हमेशा काम करने की धुन सवार रहती है। संसार का हर कार्य करने के लिए खुद की मेहनत और बलबूते पर खुद को सक्षम बन सकते हैं। यहीं लोग कर्मयोगी होते हैं।

इस चक्र का तत्व है अग्नि जेसे की इसका स्थान हमारे पेट में हैं, तो इसका सीधा संबंध हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। यह चक्र जीवन शक्ति का केंद्र है। यह हमे स्वस्थ एवम निरोगी रहने के लिए हमारी उर्जा को संतुलित करता है। पाचन तंत्र को अग्नाशय को नियंत्रित करता है।

यदि यह चक्र ब्लॉक हो जाय तो हमे पेट संबंधित बीमारियां घेर लेती हैं। जेसे indigestion, circulatory system, diabetes, blood pressure fluctuations वही पर किसी का मणिपुर चक्र active हो तो वह strong and healthy रहेगा। आजीवन रोग मुक्त हो सकता हैं।

इस video मे कौनसे चक्र ब्लॉक होने से हम कैसे क्या करके , या क्या खाकर blockage निकाल सकते है वह सब details दिया है। So please watch my video also.

अनाहत चक्र (हृदय चक्र)

यह हमारे शरीर का चौथा चक्र हैं । इसका स्थान हमारे ह्रदय के मध्य स्थित हैं। इसका तत्व वायु हैं। This means that in this chakra our consciousness can expand into infinity. यह चक्र हमारे भावनाओं और feelings का केंद्र है। इसी चक्र से spiritual growth हो सकती हैं।

जब अनाहत चक्र की ऊर्जा आध्यात्मिक चेतना की ओर बढ़ती है तो हमारी भावनाएं भी शुद्ध होनी लगती हैं। यहीं शुद्ध भावनाएं विकसित हो कर दिव्य प्रेम, भक्ती भावना में परिवर्तित होने लगती हैं। यह चक्र यदि जागृत हो जाय कवि, लेखक , संगीतकार ऐसे कलाकारों की प्रतिभा उभर कर सामने आ सकती है।

आप एक सृजनशील व्यक्ति भी हो सकते है ऐसे व्यक्ति हमेशा positive रहते हैं, चेहरे पर इनकी positivity दिखाई देती हैं। ऐसे व्यक्ति active रहते हुए सदा कुछ ना कुछ creativity करने में व्यस्त रहते हैं और हर वक्त सफल भी होते है।

अनाहत चक्र की एक और quality है ईच्छा शक्ति को संकल्प शक्ति मे परिवर्तित करने की। यदि आप को आपकी कोई ईच्छा पुरी करनी चाहते हैं तो इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करिए और गहरे ध्यान में रहते हुए अपनी ईच्छा प्रकट करते हुए संकल्प कीजिए कि वह आपकी ईच्छा पुरी हो चुकी हैं। आपका मन जितना शुद्ध और पवित्र होगा उतनी ही जल्दी आप की ईच्छा पुरी हो सकती हैं।

विशुद्धि चक्र

इस चक्र का स्थान कंठ में हैं यह चक्र का तत्त्व आकाश तत्व है। जेसे की चक्र का नाम है विशुद्ध का अर्थ है शुद्ध करना। सांसों को लेते वक्त एवम छोड़ते हुए विषाक्त पदार्थ को बाहर फेंकना यह इस चक्र का उद्यान प्राण का प्रारंभिक बिंदु है। यह चक्र शुद्धिकरण न केवल भौतिक स्तर पर बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी करता है।

यदि यह चक्र जाग्रत हो गया तो वाकसिद्धि की प्राप्ति हो सकती हैं। जो भी कहो जो भी शब्द जुबान से निकले वह सत्य होकर ही रहता हैं। वाकसिद्धि प्राप्त मुनष्य यदि असत्य और अहंकार में आ गए तो ये सिद्धि समाप्त भी हो सकते है।

चूंकि विशुद्घि चक्र का स्थान कंठ में हैं जो कि माता सरस्वती का स्थान है । इसी चक्र पर ऊर्जा एकत्रित होने से मनुष्य पृथ्वी का शक्तिशाली इन्सान हो सकता हैं। इसके प्रभाव सेे भूख प्यास को रोकने को भी शक्त्तिि आ सकती हैं। वहीं पर यदि यह चक्र ब्लॉक है तो गले से सम्बन्धित विकार हो सकते है।

Thyroid gland प्रभावित हो सकती हैं। जातक को बोलने की क्षमता मे कमी हो सकती हैं। किसी से बात करने में भी भय महसूस हो सकता है। जातक को हकलाहट की भी समस्या हो सकती है।

आज्ञाकार चक्र

इस चक्र को तीसरी आंख के नाम से भी जाना जा जाता हैं। इसका स्थान माथे के मध्य भाग में दोनों भौहों के बीच में स्थित हैं। इस चक्र में अपार सिद्धि एवम शक्तियां छिपी हुई हैं । इस चक्र के जागृत होते से सभी पूर्व जन्म की संचित सिद्धियां एवम शक्तियां जागृत हो जाती हैं।

व्यक्ति एक सिद्ध पुरुष भी बन सकता हैं। सामान्य तरीके से देखा जाए तो जो जातक की उर्जा यहां पर केंद्रित रहती हैं उन का बौद्धिक स्तर से उच्च और संपन्न हो सकता हैं। बहुत ही तेज दिमाग और बुद्धिमत्ता से धनी व्यक्तित्व हो सकता हैं। पर कुशलता और बुद्धित्व का प्रदर्शन नहीं करते बल्कि मौन धारण किए रहते हैं। इसे ही बौद्धिक सिद्धि कहते है।

आज्ञाकार चक्र ये मुनष्य और दिव्य चेतना को जोड़ने का काम करता है। यह तीन सिद्ध नाडिया इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी का मिलन केंद्र है। तीनों नाडियो का संगम यहीं पर होता हैं। जब यहीं संगम उच्च स्तर पर पहुंच जाए तो समझिए जातक गहरे ध्यान में गहराई में पहुंच सकता हैं।

सहस्त्रार चक्र

ये चक्र सिर के शीर्ष पर स्थित होता हैं। जिसे ब्रह्मरंध भी कहते है। इस चक्र के कोई विशेष गुण या रंग है ऐसा नहीं कह सकते। इस चक्र की pure energy and pure white light है। इसमें सभी रंग fullfil है। इस चक्र के जागृत होने पर सर्वोच्च चेतना की प्राप्ति होती हैं। जातक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते है। यह चक्र आत्मसाक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति हेतु लक्ष्य प्राप्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

जिनका सहस्रार चक्र जाग्रत हो जाता हैं उसे समस्त संसार के कर्मबंधनों से मुक्ति मिल सकती हैं। जन्म मरण के चक्रव्यूह से भी तो पूर्णतः मुक्ति।

conclusion

सात चक्र एवम उनके स्थान के बारे मे लिखा है। हर चक्र का अलग अलग विवरण सहित उनके स्थान और उनकी जागृत और अजागृत अवस्था में क्या होता हैं वह भी कहा है। इससे जातक खुद के कौनसे चक्र ब्लॉक है या नहीं खुद अंदाज लगाकर समझ सकते है। आवश्यक हो तो खुद मे कोई बात का बदलाव भी ला सकते हैं।

पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

ॐ नमः शिवाय रुद्राय नमः

जय श्री कृष्ण

क्या आप जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के 64गुण?

श्री कृष्ण 64 गुण मे पारंगत थे। जैसे उनके विभिन्न रूप थे वैसे उनमें विभिन्न गुण भी थे। श्री कृष्ण जैसे गुणी मनुष्य के रुप मे इस धरती पर एक जन्म व्यतीत कर चुके।

  1. नृत्य श्री कृष्ण नृत्य कला में निपुण थे, वे नृत्य करना भी जानते थे।
  2. वाद्य श्री कृष्ण को बांसुरी तो प्रिय थी ही इसके साथ ही श्री कृष्ण अलग अलग वाद्य बजाना भी जानते थे।
  3. गायन विद्या श्री कृष्ण को गायन विद्या मे भी रुचि थी, वे गायकी भी अच्छे से जानते थे।
  4. नाट्य रूपांतरण श्री कृष्ण तरह तरह के हावभाव प्रकट किया करते थे। अभिनय भी किया करते थे अलग अलग तरह के।
  5. इंद्रजाल श्री कृष्ण जादूगीरी भी दिखाते थे। यहां जादूगिरी का अर्थ चमत्कार से हैं।

6. नाटक अख्यायायकी श्री कृष्ण ने इसकी रचना भी की थी।

7. सुगंधित पदार्थ भी बनाते थे श्री कृष्ण भगवान जेसे इत्र तेल ।

8. फूलों से आभूषण बनाकर श्रृंगार करने का भी गुण था श्री कृष्ण मे।

9. भगवान श्री कृष्ण के गुण मे यह एक अनोखा गुण यह भी था की वे वेताल आदि को भी वश में रखने की वििद्या जानते थे।

10. जहां श्री कृष्ण की एक ओर ऐसे अनोखी विद्या थी वही दूसरी ओर बच्चों से बच्चो के खेल कैसे खेलें जाए वह भी जानते थे।

11. दुसरो को कैसे विजय प्राप्त करवाई जाए दूसरे को विजयी कराने की विद्या भी जानते थे।

12. शुभ अशुभ कब कैसे क्यों होता हैं। शकुन अपशकुन क्या है ये सब भी बतलाते थे।

13. यहां तक श्री कृष्ण को रत्नों की भी पहचान थी। वे रत्नों को अलग अलग प्रकार के आकार में काटना भी जानते थे।

14. वे कई प्रकार के यंत्र बनाना भी जानते थे।

15. श्री कृष्ण के गुण मे मंत्र विद्या भी एक गुण था उन्होंंने कई प्रकार के मंत्रो में सिद्धि प्राप्त कर ली थी।

16. श्रीं कृष्ण को सांकेतिक ज्ञान भी था।

17. जल जिसका गुण हैं बहना श्री कृष्ण जल को बांधने की कला भी जानते थे।

18. श्री कृष्ण भगवान को बेलबुटे बनाने का भी गुण था।

19. श्री कृष्ण को सजावट करने के भी गुण थे, वे रंग बिरंगा चावल बनाकर , जौ और फूलों से किसी भी प्रकार की सजावट करते थे।

20. श्री कृष्ण फूलों की सेज भी बनाते थे।

21. भगवान श्री कृष्ण विभिन्न पक्षियों की बोलियां भी बोलते थे। तोता मैना की बोली निकालने की कला को भी जानते थे।

22. अनेक वृक्षों में पाई जाने वाली औषधि गुण एवम वृक्षों के दूसरो गुणों से भी भलीभांति परिचित थे।

23. ॐ श्री कृष्ण भेड़ मुर्गे बटेर को आपस मे सिर्फ मनोरंजन हेतु लड़ाना जानते थे।

24. श्री कृष्ण उच्चाटन की विधि को भी जानते थे।

25. श्री कृष्ण ने गृह कारीगिरी में महारत हासिल की थीं।

26. श्री कृष्ण तो गालीचे दरी बनाने की कारीगिरी भी जानते थे।

27. यहां तक श्री कृष्ण बढ़ई की कारीगिरी भी करते थे।

28. बेंत और लकड़ी की चीजे जैसे आसन कुर्सी पलंग ऐसे लकड़ी की चीजे बनाना भी जानते थे।

29. अब ये सब तो रही सिर्फ कारीगिरी की बात श्री कृष्ण तो एक अच्छे cook भी थे। तरह तरह की सब्जियां रसीले पकवान मीठे पकवान कढ़ी ऐसे अनेकों स्वादिष्ट भोजन बनाने के गुण भी थे।

30. श्री कृष्ण भगवान में कमाल की फुर्ती थी उनके हाथों की फुर्ती से बड़े बड़े काम यू ही हो जाते थे।

31. श्री कृष्ण के श्रेष्ठ गुण में से एक ये भी गुण हैं कि वे जब चाहे जैसे चाहे वैसे कोई भी वेश धारण कर लिया करते थे।

32. श्री कृष्ण तरह तरह के स्वादिष्ट मृदु तरल पदार्थ भी बना लिया करते थे।

33. वे घृत क्रीड़ा भी बड़े अच्छे से खेल लिया करते थे।

34. श्री कृष्ण को वेदों का ही नहीं बल्कि समस्त छंदों का भी ज्ञान था।

35. वे वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या को भी जानते थे।

36. वे कोई भी दूर की वस्तु या मनुष्य को आकर्षित करने की क्षमता रखते थे।

37. श्री कृष्ण आकर्षक कपड़े और गहने बनाने का भी गुण रखते थे।

38. फूलों से या हीरे मोती से जड़ित आकर्षक डिजाइनों में हार माला भी बनाना जानते थे।

39. विशेषकर स्त्रियों की चोटियों को आकर्षक रुप से सजाने के लिए फूलो को चोटी में गूंथने की कला के भी जानकर थे।

40. वे कठपुतलियां भी बनाते थे मनोरंजन हेतु।

41. श्री कृष्ण सुंदर सुंदर मूर्तियां और प्रतिमाएं बनाने की भी कला जानते थे।

42. श्री कृष्ण पहेलियां भी बनाते थे और पहेलियां बुझते भी थे।

43. सिलाई कढ़ाई कसीदाकारी करने में भी माहिर थे।

44. जय हो श्री कृष्ण पॉवरफुल सिद्ध्ध की

हुई सिद्ध मंत्रो और जड़ी बूटियों औषधियों के भी ज्ञानी थे।

45. बालों की सफाई के लिए सुगंधित जरुरी वस्तुओं को मिलाकर उपयोग करने की भी कुशलता थी श्री कृष्ण मे।

46. वे दूसरों की मन की बात को जान भी लेते थे, समझ भी लेते थे और बता भी दीया करते थे।

47. उन्हें दुसरे देशों की भाषाओं का भी ज्ञान था, सभी भाषाओं की बोली वे जानते थे।

48. काव्य रचना करना एवम कविताओं की रचना भी संकेतो में ही करते थे जिसे कोई जानकर व्यक्ति ही समझ सकते थे।

49. रत्न परीक्षण भी जानते थे चाहे हीरा पन्ना कुछ भी हो सबकी परख थी।

50. सोने चांदी को तराशकर सुंदर आकर्षक गहने बनाने के तरीके भी जानते थे।

51. यहां तक कि केवल मणि के रंग से ही मणि की पहचान बता देता थे।

52. खाद्य सामग्री की quality smell और taste की भी अच्छी पहचान थी।

53. वे चित्रकारी का भी शौक रखते थे और बहुत ही सुंदर चित्रकारी किया करते थे।

54. दांत से बनी वस्तुओं को और वस्त्रों को रंगने की कला भी थी।

55. शय्या कैसे रची जाए ये भी गुण थे श्री कृष्ण मे।

56. घर की आंतरिक सुसज्जा करना भी जानते थे। हीरे मोती से जड़ित सुसज्जित किया करते थे।

57. कूटनीति का प्रयोग कहा कैसे और कब करना है ये ॐ श्री कृष्ण अच्छे से जानते थे।

58. ग्रंथो का ज्ञान भी रखते थे और ग्रंथो को पढ़ा कर चतुराई से सीखाया भी करते थे।

59. बातो ही बातो में मुस्कुराना और नई नई बाते निकालकर पुरानी बातो को ignore कर आगे बढ़ने की खूबी अच्छे से जानते थे।

60. श्री कृष्ण भगवान के पास हर समस्या का समाधान था।

61. उन्हे समस्त कोशो का ज्ञान भी था।

62. यदि कोई श्लोक चरण या पद अधूरा रहता हैं तो उसे अपने शब्दों में ढालकर पूर्ण करने की क्षमता रखते थे।

63. जहा छल से काम निकालना है वहा श्री कृष्ण भगवान छल का ही उपयोग किया कटते थे।

64. पत्तो शंख हाथी दांत से से भी कई वस्तु तयार करने की कला भी जानते थे श्री कृष्ण।

conclusion ऐसे तो श्री कृष्ण भगवान में कई अनगिनत गुण हैं क्युकी वह सर्वव्यापी इश्वर है वे हमारे बारे में भी सब जानते हैं। उनकी सच्चे मन से भक्ती श्रध्दा से की जाय तो वे जीवन में हमेशा मार्ग दिखाते और वे किसी ना किसी रूप में सदेव हमारे साथ ही रहते हैं।

जय श्री कृष्ण

सदा हम सब पर आपकी कृपा दृष्टि बनाएं रखें।🙏🙏

जो लोग अपनें जीवन से संतुष्ट नहीं रहते, वे कभी भी शांत नहीं रह सकते

मन का मूल स्वाभाव ही हैं चंचलता। मन हमेशा कोई कोई विचारों में उलझा ही रहता हैं। मन हमेशा एक भटकाव की स्थिति में रहता हैं। मन को अपने पसंद का दिख गया मनपसंद मिल गया ये बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ने लगता हैं। कभी उकता जाए तो ये विपरीत दिशा में दौड़ने लगता हैं। निर्णायक भूमिका में भी मन कभी हां कभी ना की असमंजस्ता में फसा रहता हैं।

भी ये शांत भी हुआ तो मन में अचानक से विकार आने लगते है मन की शांति भंग होने से मन और शांति की लड़ाई शुरू हो जाती हैं। मन भी बडा चालक और होशियार है इसने संपूर्ण दिल दिमाग शरीर सबको अपने वश में कर रखा है, सब पर कुंडली मारकर कब्जा कर के बैठा है। इस लिए हम हर वक्त स्वयं से ही सवाल करते मेरा मन शान्त क्यों नहीं रहता हैं।

मन और शांति

  1. मन हमारा एक महासागर की तरह जितना ऊपर से उथला उतना ही अंदर से गहरा। जहां विचारों की लहरे किनारे पर आकर टकराकर लौट जाती हैं और इसी उथल में मन की शांति भंग हो जाती हैं।
  2. एक पानी के बहाव की तरह हैं मन, जैसे पानी का स्वाभाव हैं अस्थिरता जो भी मिले उसके अनुरूप बन जाना। मन भी अच्छे बुरे जैसे भी परिस्थिति जैसे भी विचार उसके अनुरूप बन जाता हैं।
  3. हमारे भागते हुए अनगिनत विचारों के कारण हमारा मन भी भागते रहता ये भी एक मुख्य कारण है ऐसे में हमारा मन शांत कैसे रखें?
  4. हमारे विचार हम जहां जिनके साथ रह रहें हैं वहां होने वाली घटनाओं , दूसरो का व्यवहार नैतिकता और समर्पण की भावना भी बहुत मायने रखती हैं मन की एकाग्रता और शांति के लिए।
  5. नाकारात्मक परिस्थितियों में नकारात्मक ऊर्जा create होती ही हैं, ऐसे में negative thoughts तो मन में आते ही है इतना कोशिश करके देखिए कि आपका मन उन विचारों को पकड़ कर ना रख सकें। तुरंत ही delete कर सकते mind divert se, आपको जो भी पसंद है वह करिए।
  6. यहीं grudges life को desturb करते और इसका बोझ मन पर से यदि ना हट पाए तो बढ़ते समय के साथ unwanted negative thoughts का भी बोझ बढ़ता जाता जो की मानसिक स्वास्थ्य की हानि हो सकती हैं।
  7. बीमार भावनाओ और शिकायतों को पोषण देने वाले लोग मन मस्तिष्क में एक ही विचार को stuck होकर रहते, बार बार एक ही बात लगातार सोचने वाले लोग ही मानसिक अवसाद डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में अपने मन को शांत करने वाली बाते सत्संग जाए, ईश्वर की आराधना करे या आपके कोई रुचिकर कार्य को करिए।
  8. हालातऔर लोग ज़रूरी नहीं आप चाहते वैसे ही मिले और वैसे ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते। ऐसे मौकों पर खुदको बदलने की उस स्थिति में खुदको ढालने की कोशिश की जा सकती यदि संभव हो तो। यदि कुछ रिश्ते या अवसरों पर दूरियां ना हो तो कभी कभी कुछ त्याग कर समझौते भी करने पड़ते जीवन में। इसमें कोई बुराई भी नहीं।
  9. कभी कभी दुसरो को माफ भी कर दो, समझौते भी कर दो तो भी दुनिया में ऐसे विरले लोग भी हैं जिनकी मानसिकता बिलकुल नहीं बदलती ऐसे लोगो से समय रहते समझदारी से दूरियां बना लेना ही उचित है।

10. हमारी इच्छाएं जब मन पर हावी होने लगती हैं और विपरित परिस्थितियों में इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती , मानसिक और भावनात्मक कष्ट झेलने पड़ते हैं ऐसे में स्वयं ही खोजिए खुद के लिए मन शान्त करने के उपाय जो आप को सुकून दे सके।

11. अतीत और भविष्य की चिंता में वर्तमान की स्थिति भी बिगड़ सकती हैं। ज़िंदगी में एक ठहराव सा आ जाता हैं और life progress भी नहीं हो पाती, मुसीबतें दिक्कतें और शुरू हो सकती क्योंकि अशांत मन कोई भी कार्य ठीक से नहीं कर पाता।

12. आंतरिक क्रोध सबसे बड़ा कारण है जीवन को अस्त व्यस्त और मानसिक शांति मे हस्तक्षेप करने में ये क्रोधित विचार इंसान को अंदर ही अंदर खोखला बना कर आजीवन रोगी बना सकती हैं।

13. मन और शान्ति की लडाई

क्यों जारी रहती हैं? मन तो अंदर बैठे इच्छा पुरी कराने के लिए हुक्म देता है और बेचारा शरीर उस हुक्म को पुरा करने में struggle करता रहता इसी में दोनों का अंतर युद्ध निरंतर जारी रहता।

14. भला इस लड़ाई में चेहरा हैं जो कि हमारी पहचान हैं वह भी फीका दिखने लगता हैं समय से पहले बुढ़ापे का आवरण चढ़ सकता हैं। उम्र भी विचारों के जाल में फसकर मन की बैचैनी से घट कर रह जाती हैं।

15. मन को शांत कैसे बनाएं रखें?

इसका कारण भी हमे खुद खोजना होगा। Situation को face करके handle करिए, problems का solutions ढूंढकर। Negative situation में भी खुदको stable रखकर बीना stuck हुए हालातों को बदलने की क्षमता हम सभी मनुष्य में हैं। बस सही समय पर सही निर्णय लेकर खुद को सुरक्षित और खुश रख सकें।

Conclusion

कहने का सारांश यही हैं की जीवन की यात्रा जो हम इस धरती पर पुरा करने आए हैं । कर्मों के चक्रव्यूह में कोई भी समस्या से उलझे रहने से हम ना मानसिक ना भावनात्मक तरीके से ना ही आध्यात्मिक तौर पर उन्नति कर पाते। एक बिंदु पर अटके रहने से जीवन उस बिंदु पर थम कर रह जाती है। इसीलिए ईश्वर की आराधना करने से, विश्वास रखने पर ईश्वर हमे हर मुसीबत में मार्ग दिखाते हैं आंतरिक मन की शांति ही सब कुछ है एक खुशहाल स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए।

ॐ नमः शिवाय

जय श्री कृष्णा 🙏🙏 आपको मेरा यह ब्लॉग कैसे लगा जरुर विचार प्रकट करें। बहुत बहुत धन्यवाद।

Meditation Experience ध्यान के चमत्कारिक अनुभव कैसे प्राप्त करें?Dhyan K Chamatkari Anubhav Kaise Prapt Kare

अध्यात्म को जानना है तो ध्यान की अवस्था में खुद को उतारना। ध्यान करते वक्त अध्यात्म का आनंद उठाने के लिए स्वयं को समर्पित अध्याात्म के पथ पर अग्रसर होना होता हैं। ये ऐसा निश्चल और अथाह गहरा सागर जिसमे से ध्यानी की एक बार अंदर डुबकी लगाने के बाद बाहर आने की इच्छा ही नहीं हो सकती। ध्यान एवम एकाग्रता से इस पथ पर चलने से ध्यानी को ध्यान के चमत्कारिक अनुभव की प्राप्ति हो सकती हैं।

ध्यान करने के फायदे

  1. आप पूरे दिन खुद मे शक्ति स्फूर्ति सा महसूस करेंगे, आप चाहे जितना काम कर लीजिए आप थकान महसूस नहीं करेंगे।
  2. आपकी निद्रा, आलस्य, डिप्रेशन, क्रोध, चिड़चिड़ाहट, अवसाद, जलन की भावना इत्यादि सब अपने आप ही कम हो सकता हैं।
  3. आप सारे दिन जो भी काम करोंगे संपूर्ण समर्पण भावना से कर सकते हो, हर कार्य में संलग्न होकर पूरे दिल से fully charged
  4. जो लोग आपका अच्छा नहीं चाहते उपरी दिखावा के रिश्ते रखते या जो लोग आपको अच्छे नहीं लगते उनके साथ आपको रिश्तों को बोझ ढोना पड़ रहा है इस प्रकार के सभी लोग आपकी ज़िंदगी से अपने आप ही कटते चले जाएंगे।
  5. कोई आपको धोखा दे रहा है झूठ बोलकर फसाना चाहता है। ध्यान करने के फायदे से आप मे इतना पॉवर आ सकता हैं की ऐसे चीटर को पहचानकर आसानी से ऐसे लोगो के चंगुल से बाहर निकल सकते हो।
  6. नकारात्मक लोगो के बीच में रहते हुए भी उनकी नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव आपके उपर नहीं आ सकता।
  7. ध्यान में लगातार नियमित रूप से करने से हमारे पूर्व जन्म में किए गए ध्यान से जो भी Healing power’s प्राप्त की थी वह इस जन्म में पुनः प्राप्त की जा सकती हैं। एक एक miracles भी हो सकते जीवन में जो की कोई सोच भी नहीं सकता। ऐसे ऐसे ध्यान के चमत्कारिक अनुभव हो सकते है।

ध्यान क्या है

ध्यान वह अवस्था है जिसमे ना शरीर को ना ही दिमाग को कुछ नहीं करना होता हैं बस कुदरत के साथ बहना ही ध्यान हैं। हम सभी जानते हैं ये हमारा शरीर पंचतत्व से बना हुआ है।

हमे जन्म से हमारे अंदर कई छिपी हुई सुप्त शक्तियां हैं। यदि आपकी अभी इस वक्त ध्यान की ईच्छा जागृत हुई हैं चाहे जो भी उम्र हो उससे ध्यान करने का कोई वास्ता नहीं है महत्व तो ये है आप जागृत हुए आप ध्यान क्या है जानकर गहराई में जाना चाहते हो।

इसी बात पर आपको बहुत बहुत बधाई सबसे पहले 👏👏🙏 इसका आशय यही है की आप पूर्व जन्मों में भी ध्यान कर चुके हो। वही इच्छा वहीं आदत आपकी पुनः जागृत हुई। ध्यान हमे कुदरत से जोड़ता है।

अब आपको कैसे समझना है कि आप ध्यान की गहराई में पहुंच रहे हों। जब आपका मस्तिष्क निर्विचार की अवस्था में पहुंच जाए तो समझिए आप ध्यान की पहली सीढ़ी चढ़ चुके हों। ध्यान करते करते ध्यान के चमत्कारिक अनुभव से लाभ होना शुरू हो सकता हैं।

ध्यान अनुभव

ध्यान में आपको यह महसूस होने लग जाए एक निर्विचार की अवस्था में पहुंचने के बाद एक blankness और साथ ही समय कितना व्यतीत हुआ इसका पता भी नहीं चल सके , घंटो आप एक ही पोजीशन में बीना हिले डुले बैठे हुए हैं समझ लीजिए आप ने ध्यान की गहराई में उतरने की बाजी मार चुके हो।

अब एक एक miracle होना शुरू हो सकता है आपके जीवन में यह मेरा खुदका अनुभव साझा कर रहीं हूं तभी तो इतना confidently कहा मैने। पूर्व जन्म के शक्तियां, पूर्व जन्म में जो मंत्र सिद्ध किए वह सिद्ध किए मंत्रो के साथ उनकी शक्तियां भी प्राप्त हो सकती हैं।

ध्यान कीअवस्था में आपको अशरीर सा महसूस हो सकता हैं। ध्यान एवम एकाग्रता से आपका किया हुआ ध्यान में आप जरुर सफल हो सकते है। ध्यान में बैठे हुए ही यह अनुभव हो आपका शरीर गायब हो चूका है।

शरीर कहा है वह भी पता नहीं चलता, एक शून्य की अवस्था में पहुंच जाए और यहीं हैं ध्यान। बाहर की दुनिया में कितना भी शोर पर एक ध्यानी जब ध्यान करते तो अंदर उसके असीम शांति होती हैं। ना बाहर की कुछ आवाज सुनाई देती है ना ही अंदर सी शोर मचा होता हैं। एक silence की अवस्था को ही कहते हैं ध्यान।

conclusion

दोस्तों आपको मेरी यह जानकारी कैसी लगी मुझे जरूर कमेंट्स करके बताएं, दोस्तों ये तस्वीर ऊपर दी गई है मेरे भाई की हैं। इन्होंने भी आध्यात्मिक राह पर चलकर जीवन की कई मुश्किलों को हल किया है।

ध्यान करना कोई मुश्किल कार्य नहीं है बस आप अंदर से आत्मिक इच्छा से तैयार हों जाइए। रोज ध्यान लगाते लगाते आप सच में एक सफल ध्यानी बन सकते हो। फिर आप ही देखिए जीवन में भी आप सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हो।

हर समस्या का हल आपके अंदर से आपके अंतरात्मा से जवाब मिल सकता हैं। दोस्तों जब जागो तब सवेरा देर किस बात की चलिए फिर ध्यान करते हुए ध्यान के चमत्कारिक अनुभव भी देखते जाइए।

ॐ नमः शिवाय

जय श्री कृष्णा 🙏

मोक्ष और मुक्ति क्या है फर्क ?Moksh Aur Mukti Kya Hai Fark?

मोक्ष मोक्ष मोक्ष मुझे मोक्ष चहिए, मोक्ष का अर्थ तो जान लू, मुक्ति मिलती नहीं , मोक्ष का तात्पर्य मुक्ति ये तो पहचान लू ।।

मुक्ति पर किससे मुक्ति

या खुद से ही मुक्त होने की युक्ति,

या हर बंधनो से बंधनमुक्त तृप्ति।।

या संचित कर लू सभी कर्मों को ख़त्म करने की शक्ति।।

कर्म क्या है, इच्छाओं से जन्मे कर्म

कर्म का अर्थ है मोह माया

और मोह माया का अर्थ है,

मोह में मोहित हो गया ये मन और माया

जो कि है पंचतत्व का शरीर, मिट्टी की काया।।

पर काया क्या है एक कर्मों को ख़त्म करने का माध्यम ,

ताकि मिले मोहमाया से मुक्ति और ईश्वर से एकाकार होकर हो जाए मिलन।।

ईश्वर ने ही बनाया ये संपूर्ण ब्रह्मांड, हम जीवात्माओं के लिए रची ये श्रृष्टि, ताकि हम जीवात्माओं के कर्म के बोझ हटे, मिल सके आध्यात्मिक दृष्टि।।

कर्म किए जाओ बंधनो में बंधने में ही हैं जीवन का धर्म,

मोक्ष पाने के लिए पहले शून्य करने होंगे जन्मों से संचित किए कर्म।।

जीवन ही अनुभव है अनुभव ही ध्यान,

कर्म को पुरा करते करते ही मिलेगा मोक्ष प्राप्ति हेतु ज्ञान।।

Shri yantra benefits अद्भुत शक्ति देता है श्री यंत्र सर्व मांगलये कल्पवृक्ष यन्त्र

यह आपकी सारी इच्छा को पूरी कर सकते हैंसर्व मांगलये कल्पवृक्ष का अर्थ ही हैं सभी इच्छाओं का पूर्ण होना । कल्पवृक्ष एक ऐसा वृक्ष होता जिसके सानिध्य में बैठने से और इच्छा प्रकट करने से इच्छा पुरी होती हैं । वैसे ही यह कल्पवृक्ष यंत्र इसके संपर्क में आने के बाद सच्चे दिल से स्वीकारने के बाद तथा श्रध्दा से स्वयं को surrender करने के बाद आप प्रार्थना करेंगे तो आपकी प्रार्थना पूरी हो सकती हैं । इसमें जो तीन आंखे दिखाई देती हैं इस पर नियमित रुप से ध्यान लगाने से आध्यात्मिक उन्नति भी हो सकती हैं । आपका आज्ञा चक्र एक समय आने के बाद open भी हो सकता है । इसमें भगवान शिव की शक्ति हैं माता काली मां का आशीर्वाद है श्री कृष्ण का प्रेम भरा साथ हैं वास्तु के देवता विश्वकर्माजी है आरोग्य के देवता धनवंतरी जी का साथ जो आरोग्य को ठीक रखने में मदद करेंगे महालक्ष्मी जी मां का वास है जो हमेशा धन धान्य से परिपूर्ण रखती है कुबेरजी जो धन को संचित करने के देवता हैं इनके आशीर्वाद से घर में धन संचित हो सकता है बीज मंत्र से यह उत्पन हुआ है जो एक तरह से बहुत शक्तिशाली यंत्र है । भाग्यशाली लोगों को ही इस यंत्र की प्राप्ति होगी । सौभाग्य का मार्ग चारो तरफ से खुल सकता हैं खुशहाली उन्नती सकारात्मक घटनाएं आपके द्वार पर दस्तक दे सकती हैं ।

यह एक पवित्र श्री यंत्र है । इनमे माता महा लक्ष्मीजी भगवान शिवजी श्री कृष्ण माता काली मां कुबेरजी आरोग्य के लिए धनवंतरीजी श्री हनुमानजी विश्वकर्मायजी भगवान शिवजी रुद्र और बीज मंत्र से युक्त है । विधिवत उत्कीर्ण किया हुआ है साकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हैं । इसमें संपूर्ण ब्रह्मांड की एवम पंचतत्व की शक्तियों का संचरण है । सभी इश्वर देवी देवता का वास है और इनका सदा आशीर्वाद और सुरक्षा कवच की प्राप्ति होती रहेंगी यदि इस श्री यन्त्र को आपके आसपास स्थापित कर लिया तो । नकारात्मक ऊर्जा विलुप्त हो सकती हैं और साकारात्मक ऊर्जा हमेशा आप के aura के आसपास बनी रह सकती है ।

श्री यंत्र का फोटो

यह पवित्र श्री यंत्र हमारी सारी इच्छाएं मनोकामनाएं को पूर्ण करने और जीवन को बेहतरीन जीने के लिए , जीवन की कठिनाइयों को दूर करने जीवन बदलने के लिए अस्पष्टीकृत शक्तिशाली यंत्र है । हमे भौतिक स्तर पर हर प्रकार से विकसित कर सकता हैं यह आध्यात्मिक स्तर पर भी उच्च विकास कर सकता है । यह हमेशा आपको पॉजिटिव विचारों और तरीको में आपको हर वक्त साथ देता रहेगा ।

सबसे बड़ा चमत्कार सबसे बड़ा चमत्कार श्री यंत्र का यह आपके प्रश्नों का उत्तर दिया करेगा जब भी आप सवाल करोंगे यह आपको जवाब दिया करेगा पर जब आप इस यंत्र को बनवाकर इसे प्राप्त करोंगतब ही आपको उत्तर जानने का तरीका सीखाया जायेगा । प्रश्नों के उत्तर सुनकर जीवन में मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकते हो ।

श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा

सभी सिद्ध मंत्रो से अभिमंत्रित करके यंत्र को बीज मंत्र से चार्ज किया जाता हैं । जो भी सज्जन चाहते हैं की यह सौभाग्य से उनके घर में प्रतिष्ठित हो उन्हे सबसे पहले बुक करवाना जरुर हैं । जो भी महानुभाव हो उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम यन्त्र तैयार किया जायेगा । इसके अलावा उनके और उनके परिवार की समस्याओं के निवारण सुख समृद्धि और उन्नति के लिए हमारे ओर से एक स्पेशल प्रार्थना से चार्ज कर यंत्र मे बीजारोपण किया जाता हैं ताकि वह संपूर्ण परिवार जीवन में हर तरह से आगे बढ़ सके । श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर विधिवत तरीके से तैयार करके आपको भेेजा जाता हैं।

श्री यंत्र के फायदे

यह माता लक्ष्मी और कुबेर देवता उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करवाता है वित्तीय विकास में उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकता हैं ।

Financial problems and financial growth में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करके सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता हैं ।

आपसी सम्बन्धों में निकटता और मधुरता लाकर संबंधों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाता है प्रेम बढ़ाकर सम्बन्धों को सहज कर सकता हैं ।

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काला जादू या ऐसे ही कोई भी नाकारात्मक शक्तियों के दुष्प्रभाव कम करके अप्रभावी बनाने में मदद कर सकता हैं।

यह परिवार के सभी सदस्यों को aura protection कर सकता हैं और आजीवन सभी सदस्यों को सुरक्षा कवच देने का काम कर सकता हैं।

ये परिवार में एकता विश्वास सामंजस्य स्थापित कर सकता हैं जिससे सबको एक दुसरे का साथ प्रेम समर्पण मिलने से कोई भी समस्या चाहे वह पहाड़ जितनी हो पर एकता के कारण राई मात्र हो सकती हैं।

आपके निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है मानसिक शक्ति और कुशलता को और अधिक मजबूत करने में मदद कर सकता हैं।

भविष्य में होने वाली अप्रिय स्थिति या कोई होने वाली घटनाओं को संकेतो द्वारा या किसी संदेश से या आपके intution से सचेत कर सकता हैं ताकि आप alert होकर होने वाले दुर्घटना से खुद को सुरक्षित कर सकते हो।

स्वास्थ सम्बन्धी समस्या को हल करने में मदद कर सकता हैं। दिशा निर्देश द्वारा या किसी भी guideline से या कोई सूचना से रोग निवारण हेतु मार्ग मिल सकता हैं। Treatment करने में मदद मिल सकती हैं।

विवाह होने मे आ रही दिक्कतों को दूर कर सकता हैं। विवाहित संबंधो मे आ रही परेशानियों को भी ठीक कराने में मदद कर सकता हैं।

अहंकारी व्यक्ति का अहंकार भी कम हो सकता हैं। व्यक्तित्व मे शुद्धता और पवित्रता आने से स्वाभाव में दयालुता उदारता भी आ सकती हैं।

पितृदोष को भी दूर करने में मदद कर सकता हैं। घर के सदस्यों के बीच पितृदोष के कारण होने वाले कष्टों से छुटकारा दिलवा सकता हैं।

ह्रदय से पवित्रता के साथ प्रतिदिन प्रार्थना करने से एवम इसके जो त्रिनेत्र उनसे रोज eye contact करने मात्र से आपकी तीसरी आंख यानि third eye open हो सकती हैं। इस श्री यंत्र में स्थापित ब्रह्मांड की उच्चतम शक्ति से प्रतिदिन जुड़ भी सकते हो।

यह एक कल्पवृक्ष यंत्र हैं जो आपकी केवल सकारात्मक इच्छाओं को पूरा करने में मदद कर सकता हैं। जो दूसरों को बीना कोई हानि पहुंचे हुए ऐसे ही पवित्र और शुद्ध भावनाओं के जातक की संपूर्ण ईच्छा पुरी करने में मदद कर सकता हैं।

Conclusion

सर्व मांगल्ये कल्पवृक्ष यंत्र का अर्थ है कि हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करने की क्षमता और शक्ति । कल्पवृक्ष एक ऐसा वृक्ष होता हैं जिसके सानिध्य में बैठ कर कोई भी इच्छा प्रकट करने मात्र से पूर्ण हो सकती हैं हां पर सत कर्म करने से मार्ग प्रशस्त भी हो सकता हैं। सौभाग्य शााली लोग जो इस को अपने घर या ऑफिस या फैक्टट्रीी कार्यालय कहीं पर भी स्थााापित कर सकते हैं। कल्पवृक्ष yantra के संपर्क मे आने से सच्चे दिल से स्वीकारने के बाद तथा श्रद्धा से खुद को surrender करने के बाद आप प्रार्थना करेंगे तो आप की ईच्छा पुरी हो सकती हैं।

इसमें जो तीन आंखे दिखाई देती हैं इस पर नियमित रूप से ध्यान लगाने से आध्यात्मिक उन्नति भी हो सकते हैं। आपका आज्ञाकार चक्र एक समय के बाद open हो सकता हैं। इसमें भगवान शिव की शक्ति हैं, माता काली मां का आशीर्वाद है, श्री कृष्ण भगवान का प्रेम भरा साथ हैं। वास्तु के देवता विश्वकर्मायजी का वास भी है जो आपके क्षेत्र के वास्तुदोष को भी दूर कर सकता है। आरोग्य देव धनवंतरीजि की कृपा दृष्टि से आपके आरोग्य को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता हैं। मां महालक्ष्मी का भी निवास हैं जो आपकी जीवन को धन धान्य से परिपूर्ण रखती हैं। कुबेरजी जो धन को संचित करने वाले देवता हैं इनके आशीर्वाद से आपके पास धन संचित हो सकता हैं। बीज मंत्र से युक्त विधिवत् उत्कीर्ण किया हुआ है जो एक तरह से आप पाएंगे बहुत ही शक्तिशाली यंत्र। भाग्यशाली लोगों को ही इस यंत्र की प्राप्ति हो सकती है और जो इसे प्राप्त करेगा वह हर तरह से सुखी हो सकता है। सौभाग्य का मार्ग चारो तरफ से खुल सकता हैं। खुशहाली, उन्नति, सकारात्मक घटनाएं आपके द्वार पर दस्तक दे सकती हैं।

जो भी लोग चाहते उनके भाग्य में वृद्धि हो और वे सुख समृद्धि और उन्नति करते हुए शान्ति से जीवन व्यापन करना चाहते तो ऑर्डर दे सकते हैं। दुनिया में कहीं भी आपको कुरियर से भेजा जा सकता हैं।

ॐ नमः शिवाय रुद्राय नमः

हरे कृष्ण राधे कृष्णा

Meditation Defination And Meaning

What is Meditation?

Meditation is nothingness and it’s a very simple process. All that we all should know is right button means right way. In Upanishad it’s call a witnessing means only witness to your only thoughts and don’t try to involved in it.

Just be observer , be a watcher just observe your mind process, your mind’s activity . Whatever thoughts may be negative or positive be neutral just don’t run towards any thoughts. Just keep quiet and close your eyes and take normal breathe by accepting whatever is happening.

Traffic of mind—–thoughts passing by may be it’s your desires, memories, dreams or fantasies. Simply be cool watching it, seeing it with no judgement.

What is permanent soul or body, as we have taken birth as human beings so we have to leave this body one day. So what is permanent soul or body. First of all we are soul and body is only upper cover of our soul.

We are not only physical body, we are also a energy body. That’s why we feel Vibes and understanding negative and positive energy. All we have to do is to connect with universe a source of whole energies. It is possible only by walking on spiritual path and by doing meditation.

Meditation Meaning

Meditation in a true sense is a radical form of being in the absolute present. Meditation play a huge role in changing the person life.

The last ultimate goal of all of us to be in association with this supreme energy. The destination of of spiritual planet is venkhutas. Every soul last destiny is to merge with God that is Brahm 🙏

Meditation on the personal divine form of lord Shri Krishna ultimate goal is to in association with of god in his personal kingdom known as bhagwan realisation.

Meditation Definition

Meditation is an event. Meditation leads to self awareness, so we can begin to recognise that we are not our tensions or thoughts. Bringing our attention inside repeatedly over time can strenghthen our awareness.

So that we can experience anything that we ever have, like a moment of great happiness. Through meditation can develop the focus required to go to the power, the source. Hang out without creating any new Karma’s.

That is great wonder of meditation with much practice we can still the mind enter in pure consciousness and even transcend consciousness beyond the body. Meditation is boon of God or nature. When God will pleased to you then you will understand meaning of meditation. Seeing the thought as an evidence being is meditation.

You will have greater magnetism and will be able to attract more or what you desire into your life. You will be more connected to yourself to your own world 🌍 and to others. It will also reduce many such things in negative aspects going on in your life right now.

You are spirit child of god and you can prove it.🙏💕

You think that you are the body, but you are not. Your consciousness is centered in the body, but when you are asleep, your consciousness is beyond it. Your feelings are mostly concentrated on the welfare of your little body, but you can expand your love to take in the kingdom of the Infinite. Since we are all limited by ego or body consciousness, we must expand our love in order to reclaim our kingdom of infinite consciousness.

Meditation is a sure way to prove that you are not the body, but a spirit-child of God. We are waves of the Ocean, waves of Life. When the body dies, we merge in the Ocean of Spirit, and then come out again as a wave in the next life.
You must give up some of your useless pursuits and idle thoughts to make time for God. The world takes out of you all it can, and keeps you engaged with many worthless habits and unproductive activities.

Use your precious gift of reason and try to find God. You need not go into the forest where other, though different, temptations will assail you and perhaps conquer you. Your duty is in the world where your karma (action) has placed you to work out your salvation by serving your fellow men. You find God in the solitude of your own room when, in the early morning hours and at night, before sleeping, you compose yourself for contemplation and meditation on the great divine principle that created you.

Conclusion

Just think and try to understand that you are not body you are pure soul. Taken birth for doing spiritual work but we ourself tie in all materialistic things and move birth to birth round and round. Which is never ending.

Dead body ले जाते समय क्यों कहते है Ram Naam Satya Hai? किन बातों का रखे ध्यान?

आपको एक मुख्य बात बताती हूं दाहसंस्कार से लौटते वक्त कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए बल्कि बिना पीछे मुड़कर या सर को बिना इधर उधर घुमाए सीधा सामने देखकर अपने घर पहुंचकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर स्वच्छ करना चाहिए। इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा logic है जो कि बिलकुल सत्य है। आइए जानते हैं क्या हैं?

हमारे हिंदूधर्म में शव को जलाने की प्रथा के पीछे भी बहुत बड़ा तथ्य है वैसे तो हम सब जानते हैं किसी भी आत्मा को यह संसार त्याग कर जाना आसान नहीं है। शव जलाकर आत्मा को यह संदेश दिया जाता हैं कि अब इस दुनिया में तुम्हारा कुछ भी नहीं है। शरीर जिस पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार था उसे भी जलाकर भस्म कर दिया गया है अब सब मोह माया त्यागकर वैकुंठ धाम की यात्रा की ओर चले जाए। आगे के कर्मो को पुरा करे।

जन्म और मृत्यु

मृत्यू की सच्चाई जब कोई जीवात्मा जिस शरीर में वास कर रहीं हैं उस शरीर को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए निश्चय करती हैं यहीं हैं मृत्यु।

जब कोई जीवात्मा को शरीर छोड़ना है उसके तैयारी वह कई दिन पहले से ही करना शुरू कर देती हैं। जब उसे यह लगने लगता हैं की इस शरीर के साथ अब मेरा सफर खत्म हो चूका है तो वह अंदर ही अंदर सबसे detachment मे जाना वह जीवात्मा का शुरू हो जाती हैं ये प्रक्रियां अपनेअाप ही होने लगती हैं।

मृत्यू और जन्म ये भी एक एक सफर हैं कहते हैं कि जिस प्रकार से मरते वक्त जैसे विचारधारा होगी हमे अगले जन्म की प्राप्ति उसी अनुसार हो सकती हैं। अथवा जीवात्मा के जेसे कर्म किए होंगे वैसे विचाधारा बनेगी इसलिए कर्मों का बहुत बड़ा योगदान है इस जन्म मृत्यू के चक्र में।

राम नाम सत्य का अर्थ क्या है

हमारे हिंदू सनातन धर्म में किसी भी व्यक्ति की मृत्यू होने के बाद शव ले जाते वक्त कहा जाता हैं राम नाम सत्य है। इसके आगे का अगला वाक्य है सबकी यहीं गत्य हैं इसका अर्थ यहीं हैं कि आज हम हमारे कंधे पर किसी और का शव ले जा रहें हैं।

आज हम उसकी शवयात्रा में शामिल हुए हैं कल हमारी भी गति इसी प्रकार हो सकती हैं। मृत्यू एक अटल सत्य है जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यू भी जन्म के वक्त ही निश्चित हो चुकी होती हैं। हम अभी जीवित हैं क्योंकि हमारे शरीर मे जीवात्मा वास कर रहीं हैं जैसे ही जीवात्मा शरीर छोड़ देती हमारी भी मृत्यू तय है। हमारे भी शरीर को भी अग्नि को समर्पित किया जायेगा।

इसलिए राम का नाम ही सत्य है बाकी सब असत्य है यह समय रहते समझा जाय इश्वर की ध्यान आराधना की जाए तो मृत्यू के बाद भी हमे सही गति मिल सकती हैं।

राम नाम सत्य है सबकी यही गत्य हैं का अर्थ है सबकी यही गति एक ना एक दिन होने वाली सिर्फ राम का नाम ही शाश्वत बाकी सब असत्य अशाश्वत है। शास्त्रों में भी लिखा है किसी और की शवयात्रा देखना शुभ है। उधर ही खड़े होकर प्रणाम करने से हमे हमारे कष्टों से भी मुक्ति मिलती हैं। राम नाम सत्य कहने से सब के एक साथ में तो महाऊर्जा निर्मित होती है। जो आत्मा अभी अभी शरीर छोडी हैं यदि वह मोह माया के कारण मृत्यु के बाद की यात्रा प्रारंभ नहीं कर पा रही है यह राम नाम सत्य कहने से वह आत्मा का भी अवरोध हटता है साथ जो शवयात्रा ले जा रहे उन्हे भी सुरक्षा कवच का काम करता है बुरी शक्तियों से और भी डिटेल इस वीडियो में देखिए।

पढ़ने के लिए धन्यवाद🙏🙏

हरे कृष्ण राधे कृष्ण

ॐ नमः शिवाय 🙏🙏🙏🙏

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