क्रोध और अहंकार एक सिक्के के दो पहलू है । क्रोध, अहंकार, भय ये सब एक ही समूह के और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। तो आइए इसी विषय पर चर्चा करेंगे। मनुष्य को क्रोध क्यों आता है?
क्या क्रोध मन में छिपा हुआ ज्वालामुखी हैं जो अंदर ही अंदर सुलगता रहता है और बीच बीच में क्रोध के रूप में आप उस ज्वालामुखी का गरम लावा दूसरो पर उंडेलते रहते हो।
क्रोध ही तनाव को जन्म देता है और धीरे धीरे ये घाव भीतर ही भीतर इतना विराट स्वरूप ले लेता है कि कहीं ना कहीं किसी भी रूप में बाहर आ सकता है। जब आप तनाव ग्रस्त जीवन जीना नहीं चाहते हो तो सबसे पहले खुदका आत्मनिरीक्षण कीजिए कही आप क्रोध के शिकार तो नहीं? यहां तक कि ये अंदर छिपाकर रखा हुआ क्रोध अपराध के रास्ते पर भी ले जा सकता है।
इन्सान अपने मन में छिपे हुए इस खुन्नस को किसी कमजोर लाचार मासूमों पर भी निकाल सकता है। माना कि कोई भी इन्सन बाहर लड़ झगड़ कर या दूसरे पर गुस्सा निकालकर खुद की क्रोध की अग्नि को शांत कर देता है।
उसकी आत्मसंतुष्टि की पुष्टि भी हो जाती हैं खुद का agression निकालकर। पर कई परिस्थितियों में क्या कई लोगों के साथ ऐसा भी हो सकता है कि वे अपना क्रोध भीतर ही भीतर दबा कर रखते हैं।
जो कि कोई खतरनाक मोड़ पर लाकर खड़ा कर सकता है। इस position में जहा सहा ना जाए और कहा भी ना ऐसे situation को भी handle करने आना चाहिए।
कुछ उपाय मै आपको नीचे सबसे आखरी मे बता रही हूं उसके पहले क्रोध के बारे और कुछ जानते हैं।

क्रोध उपचार
💖💖 एक मीठी सी प्यारी बात❣️❣️
यदि हमे कोई फल का रस पीने की चाहत तो हम उस फल को निचोड़ कर रस निकालगे
तो जैसा फल होगा वैसा उसका रस निकालेंगे और उस रस का आनंद लें पाएंगे
जो अंदर हैं वहीं बाहर की ओर निकेलेंगा जो कि यही सत्य और तथ्य हम सब पर लागू होंगा ।
यदि कोई कटु वचन, अभद्र व्यवहार, या अपमानित करने की आपसे चेष्टा करता है तो आप दोगुना आवेग से उस व्यक्ती पर हमला बोल देते हो।
क्योंकि जिसमे अंदर जो होगा वहीं वह बाहर उगलेगा सामने वाले में तो हैं ही ये उसका व्यवहार बता रहा है क्या आप में भी वहीं हैं? आप ये सवाल खुद से करिए खुद जवाब ढूंढिए। आपका सत्य आपके सामने होगा।
जब आपके जीवन का अभिप्राय प्रेम आनंद और सुकन है तो अपने भीतर इसमें डूब जाइए और दूसरा कितना भी अभद्रता दिखाए अपने संतुलन को बनाए रखे और वहीं ऊर्जा प्रेम भावना की उसके सामने प्रदर्शित करे चाहे वह accept करे या ना करे ये उसका matter है।
बस आप इतना देखिए कि आप को भीतर से बदलाव लाना है खुदमे, देखना आपकी बाहर की दुनियां स्वयं बदल जायेगी।
स्वयं की स्वीकृति स्वयं के लिए क्रोधी इन्सान को अंतर्मन से शांत कर देती हैं।
ये तो मैने आपको क्रोध को काबू करने का उपाय बताया कहने को तो बहुत सीधा सरल भी है ना चाहो तो कठिन इसलिए की आपके अंदर अभी भी अहंकार का जेहरीला बीज पड़ा हुआ हैं ।
क्रोध क्यों आता है?
क्रोध इस सम्पूर्ण विश्व में किसे नहीं आता पर क्रोध आना या दूसरों पर क्रोधित होना ये तो बहुत ही आसान हैं पर क्रोध आने पर भी क्रोध पर काबू रखकर सामान्य व्यवहार करे वही इस जीवन की जंग में विजयी हो सकता है।
क्रोध का दूसरा चेहरा भय भी है इन्सान अंदर ही अंदर किसी कारण भयभीत रहता है इसीलिए वह अपने भय को छिपाने के लिए क्रोधित होता रहता है ताकि किसी ओर को ये अभास ना हो कि वह सच में एक डरपोक इन्सान है।
कहीं ना कहीं भय हिंसा का रूप ले ही लेती हैं।
क्रोध का सगा भाई अहंकार भी है। अहंकारी व्यक्ती को किसी के आगे झुकना बिलकुल गवारा नहीं। ऐसे लोगों को लगता हैं कि दुनियां में सिर्फ वे ही लोग सही है बाकी सब उनकी नजरों में तुच्छ होते हैं।
वे जो भी निर्णय ले उसका सबको पालन करना ही है चाहे वह किसी को पसंद हो या नहीं। ऐसे लोगों में ईर्ष्या की भावना भी मन के किसी कोने में पटाखे की तरह सुलगती रहती हैं। ये ईर्ष्या की भावना को अपने अहंकार की पुष्टि के लिए कब किस पर bomb blast करेंगे इनका कोई भरोसा नहीं है।
मैने जो आपको ऊपर बताया यदि आप ऐसे लोगों पर आजमा सकते है तो बेहतर रहेगा नहीं तो ऐसे लोग से तो दो हाथ की दूरी बनाए रखने मे भलाई है। ऐसे लोगों को दूर से ही राम राम 🙏
क्रोध वह अग्नि जिसके भीतर जलती है वह तो सुलगता ही है साथ ही इसकी लपटे दूसरों को भी जलाकर खाक कर देती है। क्रोध में इन्सान खुद पर से काबू खो बैठता है ना चाहते हुए भी ऐसी गलती कर बैठता कि क्रोध शांत होने के बाद समझ आने पर बहुत देर हो चुकी होती तो सिवाय पछतावे कुछ हाथ नहीं आता।

क्रोध आने पर क्या करें
- क्रोध आने पर जब आप प्रत्यक्ष प्रकट भी नहीं कर पा रहे और भीतर आप सहन भी नहीं कर पा रहे वह कहीं न कहीं आपके दिल में त्रिशूल की भांति चुभे जा रहा हैं ना सहा जाए ना कहा जाए।
- इस प्रकार की मन: स्थिति का सामना कर रहे हो तो आपको एक बहुत ही सरल उपाय बता रहीं हूं।
- बाथरूम में जाकर shower के नीचे ठंडा पानी के साथ पानी के नीचे खड़े हो जाइए। जैसी ही पानी की बौछार शरीर को छूएंगी तो जिसके लिए मन में क्रोध दबा रखा उसका नाम लेकर उसको जो कहना चाहते और नाही कह सकते सामने वह सब कह दीजिए ।
- इस तरह निकाल लीजिए सारी मन की भड़ास और यदि रोने का मन करे तो रो भी लीजिए फिर देखिए आपको कैसे दिल और दिमाग में शांति का अनुभव होता है।
- आप ये नुस्खा जरुर आजमाइए फिर comments करके बताइए कैसे लगा?
- दूसरा नुस्खा सुनिए एक plain paper लीजिए उसपर जो बंदे पर क्रोधित हो उसका नाम लिखना है। हां तो अब उस plain paper के 25 छोटे छोटे peices कर लीजिए।
- हर peice पर उस बंदे का नाम लिखिए। इतना कर लिया अब एक कांच का bowl लीजिए उसमे ये सब लिखे हुए नाम की पर्ची डालिए।
- अब एक माचिस की जलती हुई तीली लेकर सबको एक साथ जला दीजिए। अब उस राख को लेकर किसी खुली खिड़की के सामने खड़े हो जाइए जहां से खुला आसमान दिखता हो।
- बस अब आखरी एक काम करना उसको चार बार खुले आसमान की ओर मुख करके फुक मारकर उड़ना है। उड़ाते वक्त universe से यही प्राथना करनी है कि मुझे इस व्यक्ती विशेष के जुल्म या त्रासदी से मुक्ति चाहिए वह मुझे प्राप्ति हो चुकी हैं।
कभी भी आंसुओ को रोकना नहीं देना चाहिए आंसुओ के साथ हमारा दुःख, गम क्रोध सबकुछ बह जाता हैं और भी detail इस video में जरुर देखिए।
Conclusion
क्रोध क्या है? इसका उद्गम कहा से होता है। अपने आपको कैसा क्रोध से बचाया जा सकता यहां तक खुदको कैसे बदला जा सकता है। कहा ना जाए सहा ना जाए उसका तक उपाय ऐसा blog शायद ही किसने इतना detail लिखा हों। आपको कैसा लगा जरुर comments करके बताइए।
जय श्री कृष्णा 🙏
बहुत बहुत 🙏धन्यवाद