कर्म भी ईश्वर की तरह ही एक आस्था का विषय है। कई लोग इश्वर पर विश्वास करते हैं हालांकि ईश्वर को प्रत्यक्ष रूप से देखा नहीं है फिर भी ये एक अटूट अटल विश्वास है कि कही न कही एक अदृश्य शक्ति है जो हमेशा हमारे साथ है। हमे समय समय पर सही मार्ग भी दिखाती है। हमे दुःख दर्द सहन करने की हिम्मत प्रदान करती हैं। हर इंसान के हृदय में ईश्वर कई अलग अलग रूप मे बसा हुआ है। यहीं विश्वास और यहीं शक्ति जीवन जीने का हौसला हमे देती हैं। इश्वर की बनाई इस दुनिया हम सब कठपुतली की तरह अपना अपना role play कर रहे है। अब इस दुनिया में कौन कैसा है किसके मन में क्या छल कपट छिपा है, कौन कैसा बाहर से बहुत अच्छा पेश आता है और आंतरिक मन मे घृणा छिपा रखी है। ये सब आजकल की दिखावटी दुनियां में समझ पाना मुश्किल है।

कर्म और धर्म
आपने इस दुनियां में ईमानदार और बेइमान दोनो ही तरह के लोग देखें होंगे। पर कई बार ये बात जरुर नोटिस करने में आता है कि बेइमान और बुरे लोग सच्चे और ईमानदार लोगों से कई गुना सुखी देखें जा सकते है। आखिर क्यों? इसका कारण क्या हैं?
जीवन के फलसफे को आंका जाए तो अच्छा इंसान कौन हैं और कौन बुरा इंसान यह कैसे किसकी तुलना की जा सकती हैं।
साहब ये तो कलयुग का समय है इस समय कोई सच्चा ईमानदार भी चले तो भी लोग उसे चने की तरह भुन कर खा लेंगे, उस सच्चे इंसान का हर तरह से उपयोग और दुरुपयोग किया जाता है।
ये तुलना करना भी नामुमकिन है क्योंकि जरूरी नहीं जो इंसान उपर से दिखाई दे वह भीतर से कैसा हो? 🙂 So funny to judge and not so easy also!!
सफलता के मार्ग पर चलते हुए जरूरी नहीं हम अच्छे हैं तो इसका मतलब तो कतई ये नहीं है कि हमे हर कोई अच्छा ही मिले हमारी तरह,😌 कई बार हम दूसरों को परेशान या अपशब्द नहीं कहना चाहते पर कई बार स्वयं कि या परिवार की रक्षा करने हेतु मजबूरीवश सामनेवाले की ही भाषा में जवाब देना पड़ता है।
कहने का तात्पर्य यही है कि बुराई के साथ बुरा भी बनना पड़ता हैं तो ऐसे इंसान अपने अपने अक्स पर बनी अच्छाई की छवि कैसे कायम रख सकता है?
ऐसे ही दोराहे पर आकर इंसान confuse हो जाता हैं कि जीवन में एक अच्छा इंसान बने या सफल इंसान। आइए और गहराई में आपसे बाते करते हैं और समझते हैं इस तथ्य को 🙏
- क्या खुद के लिए अच्छा सोचना और करना बुरी बात है? हर इंसान को अधिकार है वह स्वयं के परिवार की ओर स्वयं की चिंता भी करे और भलाई का भी सोचे। यही सोचकर कोई किसी का काम करने के लिए मना कर दे या परिवार के हित के लिए कोई किसी तरह से रिश्ता नाता तोड देने में बुराई क्या हैं?
- कोई रिश्तेदार परिवार के सदस्य को तंग परेशान किए जा रहा है समझ ही नहीं रहा लाख समझाने पर भी तो ऐसे रिश्तों का बोझ दुनियादारी का नाम देकर उठाने से बेहतर उसे हमेशा के लिए तोड़ दिया जाए और सुकून की जिंदगी परिवार के साथ जी जाए।
- कई बार हम दुनियादरी रिश्तेनाते में बंधे रहते हैं और हमारी भारतीय संस्कृति में यहीं बचपन से सिखाया जाता हैं कि बड़ो को पलट कर जवाब नहीं दिया जाता हैं। बड़े जो भी कहते है उनकी आज्ञा की अवेहलना बिलकुल ना की जाए।
- जी बिलकुल सही आप सुन रहे हैं हमारी भारतीय संस्कृति सच में इतनी महान है। पर ये सब पहले सच में होता भी था बड़े बुजुर्ग भी आदर्शवादी और सम्मान के लायक भी थे और सबसे बड़ी बात विश्वास के लायक भी थे अगर आज के युग से पहले का युग compare किया जाए तो सत्यवादी आदर्शवादीता में। मैं यह नहीं कहती हर कोई पर कही कही बड़े कहने वाले लोगों मे नियत और फितरत दोनो ही खराब हो चुकी है।
- जो दुनियां हो रहा है वहीं हम बात कर रहे हैं parents भी बेटो में भेदभाव करने लग गए हैं जो बेटा अच्छा कमाता अच्छी status है उसकी तरफ ही लुड़क जाते हैं उसकी तारीफे करते हैं जो कम कमाता बेटा उसकी बुराई ही दिखाई देती है। बड़े घर के ही इंसान कही कही news में आप के भी पड़ने मे आया होगा वे अपनी काम वासना घर के छोटे बच्चे मासूमों से अपनी भूख मिटाते है ऐसे में मासूम बच्चे कही भी दुनियां मे सुरक्षित नहीं रह सकते।
- ऐसे जीवन में कई जटिल परिस्थितियों में पलट कर जवाब देना या विरोध प्रदर्शन करना भी जरूरी है यदि नहीं react किया तो घरवाले ही हावी हो जाते है। शिकार और शिकारी का खेल कायम रहता है इसमें शिकार करने वालो का तो कुछ नहीं बिगड़ता पर बेचारा जो शिकार हुआ उसकी तो जिंदगी उध्वस्त हो जाती हैं।

. इस दुनिया में कोई भावनाओ से लुटता है तो कहीं धन दौलत से । कोई नाचदीकी जान पहचान के या नाते रिश्तेदार कहे जाने वाले लोग cheat करते धोकेघाड़ी से पैसे लुटते है ।
मेहनत कोई करता है जिंदगी में और ऐश कोई करता है। इसके कई उदहारण आस पास देखे जा सकते हैं ऐसे में अच्छे कर्म और बुरे कर्म कौन से है कैसे पहचाने। जिसकी मेहनत की कमाई लूट रही हैं जो बेचारा मेहनत करके भी कंगाल हुए जा रहा है वह तो विरोध करेगें ।
इन परिस्थिति में तो ईट का जवाब पत्थर से देना क्या बुरी बात है ?
धोकाघड़ी का एहसास दिलवाकर ऐसे cheater को जिंदगी से हटाना जरूरी है। यहां भी इन्सान खुदको और खुदके परिवार को बचा रहा तो इसमें वह बुरा कैसे हुआ?
4. कोइ साधु संत का वेश धारण किया हुआ हैं गले में हाथो में रुद्राक्ष की माला लिए जप किया करते हैं। मुख ईश्वर की बातों और ज्ञान का प्रचार कर रहा है।
खुद को ईश्वर का सेवक साबित कर रहे है तो ऐसे लोग पर मासूम ईश्वर पर आस्था रखनेवाले भक्तलोग तो विश्वास करेंगे ही। पर परेशानी तो तब आती हैं जब इन ढोंगी बाबाओं की सच्चाई सामने आती हैं और इनके कर्मकांडो का भेद सारी दुनियां के सामने खुलता है।
ये लोग धनदौलत और emotionally हर तरह से लूटने वाले लुटेरे है। अब ऐसे पापी और पाखंडियों को क्या कहेंगे जो पाप करने के ईश्वर को भी इस्तमाल करते हैं। अब अच्छे कर्म और बुरे कर्म की क्या परिभाषा हो सकती है?
Conclusion
आज के युग में यह कह पाना संभव नहीं है कि कौन बुरे कर्म कर रहा है कौन अच्छे क्योंकि ईश्वर की बनाई इस दुनियां में सबको अपने कर्म अनुसार फल भोगना ही पड़ता है।
कोइ भी कर्म आप दुनियां से छिप कर करिए बल्कि मैं तो कहती हूं आप उसमे सफल भी हो चुके पर ईश्वर की नजर हमारे ऊपर लगातार लगी हुई है हर जीवात्मा को उसके कर्म के फल भोगने ही पड़ते हैं इसका कोई shortcut नही है।😍🤩