हमारे शरीर में सात मुख्य चक्र विद्यमान हैं। यह हमारे शरीर के अलग अलग भागों में स्थित हैं। हर चक्र की अपनी ऊर्जा शक्ति है। इन्हीं चक्र की ऊर्जा पर ही हमारा जीवन आधारित हैं। इन्हे सृष्टि के समस्त शक्तियों का केंद्र भी माना जाता हैं। इन्हीं सातों चक्र मे मुनष्य की चेतना विद्यमान हैं। कोई भी चक्र यदि असंतुलित है तो इसका सीधा असर हमारे जीवन के संतुलन पर भी पड़ सकता हैं।

मुलाधार चक्र
यह चक्र हमारे शरीर के रीढ़ की हड्डी में स्थित हैं। It is situated at the base of coccyx. यह शरीर का पहला चक्र हैं। यह अवचेतन मन से जुड़ा हुआ है यहां पर हमने जो पिछले जन्म में जो अच्छे बुरे कर्म किए वह इसी चक्र में संग्रहित रहता हैं। जिसका प्रतिफल हमे जन्म जन्म में भोगना पड़ता है ।
Universal law के अनुसार हमारा future हमारी destiny इसी चक्र पर आधारित हैं। इस चक्र पर हमारे व्यक्तित्व विकास की नीव टिकी हुई है। यदि हमारी विकास में रूकावटे आ रही हैं हमे financial problems life मे हैं इसका कारण मूलाधार चक्र मे ब्लॉकेज हैं।
जीवन भर भोग आनंद निद्रा की तृप्ति को ही जीवन की प्रधानता मानते हैं उनकी चेतना इसी चक्र में अटकी रहती है। ऐसे लोग इसी चक्र में जन्म लेते और इसी चक्र में मृत्यु हो जाती हैं। तत्व का अर्थ एवम संबंध मां से है जो हमे जीवन ऊर्जा भोजन शक्ति सब कुछ देती हैं।सात चक्र और उनके स्थान का ये पहले चक्र का तत्व पृथ्वी तत्व हैं।

स्वादिष्ठान चक्र
swadishthan chakra is situated at the lower end of the sacrum. मनुष्य की चेतना का विकास इसी चक्र से होता हैं। अवचेतन मन के रहने का स्थान है। जहा पर हर मनुष्य के experience, impressions सभी store किए हुए रहते है। जब जीवात्मा का जीवन मां के गर्भ में शुरू होता है इसी चक्र में चेतन अवचेतन मन की सभी घटनाएं जमा हो जाती जन्म के वक्त से ही।
जिनकी ऊर्जा शक्ति इस चक्र पर केंद्रित रहती वे केवल घूमना फिरना, मनोरंजन life is only to enjoy उनके जीवन का यहीं फंडा होता हैं। मौज मस्ती में ही अपना जीवन व्यतीत कर लेते हैं और अंत में धन और मन दोनों से खाली हो जाते है।
स्वादिष्ठान चक्र का तत्व है जल। जल जो अस्थिर रहना मूल स्वभाव हैै। जेसे पानी नियंत्रण में रहे तो वह अमृत है पर अनियंत्री्त जा ये तो बड़े बड़े बड़े प्रलय भी हो सकते है। ऐसे लोग जिनकी ऊर्जा इस चक्र पर केंद्रित हो उन्हे खुद पर self awareness and self control होना जरूरी है चाहे मनचाहा मनोरंजन ही हैं ।

मणिपुर चक्र
यह हमारे शरीर का तीसरा चक्र हैं। It is situated at the back of the naval. जिन लोगों की ऊर्जा शक्ति इस चक्र पर केंद्रित रहती हैं उन्हें हमेशा काम करने की धुन सवार रहती है। संसार का हर कार्य करने के लिए खुद की मेहनत और बलबूते पर खुद को सक्षम बन सकते हैं। यहीं लोग कर्मयोगी होते हैं।
इस चक्र का तत्व है अग्नि जेसे की इसका स्थान हमारे पेट में हैं, तो इसका सीधा संबंध हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। यह चक्र जीवन शक्ति का केंद्र है। यह हमे स्वस्थ एवम निरोगी रहने के लिए हमारी उर्जा को संतुलित करता है। पाचन तंत्र को अग्नाशय को नियंत्रित करता है।
यदि यह चक्र ब्लॉक हो जाय तो हमे पेट संबंधित बीमारियां घेर लेती हैं। जेसे indigestion, circulatory system, diabetes, blood pressure fluctuations वही पर किसी का मणिपुर चक्र active हो तो वह strong and healthy रहेगा। आजीवन रोग मुक्त हो सकता हैं।

इस video मे कौनसे चक्र ब्लॉक होने से हम कैसे क्या करके , या क्या खाकर blockage निकाल सकते है वह सब details दिया है। So please watch my video also.
अनाहत चक्र (हृदय चक्र)
यह हमारे शरीर का चौथा चक्र हैं । इसका स्थान हमारे ह्रदय के मध्य स्थित हैं। इसका तत्व वायु हैं। This means that in this chakra our consciousness can expand into infinity. यह चक्र हमारे भावनाओं और feelings का केंद्र है। इसी चक्र से spiritual growth हो सकती हैं।
जब अनाहत चक्र की ऊर्जा आध्यात्मिक चेतना की ओर बढ़ती है तो हमारी भावनाएं भी शुद्ध होनी लगती हैं। यहीं शुद्ध भावनाएं विकसित हो कर दिव्य प्रेम, भक्ती भावना में परिवर्तित होने लगती हैं। यह चक्र यदि जागृत हो जाय कवि, लेखक , संगीतकार ऐसे कलाकारों की प्रतिभा उभर कर सामने आ सकती है।
आप एक सृजनशील व्यक्ति भी हो सकते है ऐसे व्यक्ति हमेशा positive रहते हैं, चेहरे पर इनकी positivity दिखाई देती हैं। ऐसे व्यक्ति active रहते हुए सदा कुछ ना कुछ creativity करने में व्यस्त रहते हैं और हर वक्त सफल भी होते है।
अनाहत चक्र की एक और quality है ईच्छा शक्ति को संकल्प शक्ति मे परिवर्तित करने की। यदि आप को आपकी कोई ईच्छा पुरी करनी चाहते हैं तो इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करिए और गहरे ध्यान में रहते हुए अपनी ईच्छा प्रकट करते हुए संकल्प कीजिए कि वह आपकी ईच्छा पुरी हो चुकी हैं। आपका मन जितना शुद्ध और पवित्र होगा उतनी ही जल्दी आप की ईच्छा पुरी हो सकती हैं।

विशुद्धि चक्र
इस चक्र का स्थान कंठ में हैं यह चक्र का तत्त्व आकाश तत्व है। जेसे की चक्र का नाम है विशुद्ध का अर्थ है शुद्ध करना। सांसों को लेते वक्त एवम छोड़ते हुए विषाक्त पदार्थ को बाहर फेंकना यह इस चक्र का उद्यान प्राण का प्रारंभिक बिंदु है। यह चक्र शुद्धिकरण न केवल भौतिक स्तर पर बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी करता है।
यदि यह चक्र जाग्रत हो गया तो वाकसिद्धि की प्राप्ति हो सकती हैं। जो भी कहो जो भी शब्द जुबान से निकले वह सत्य होकर ही रहता हैं। वाकसिद्धि प्राप्त मुनष्य यदि असत्य और अहंकार में आ गए तो ये सिद्धि समाप्त भी हो सकते है।
चूंकि विशुद्घि चक्र का स्थान कंठ में हैं जो कि माता सरस्वती का स्थान है । इसी चक्र पर ऊर्जा एकत्रित होने से मनुष्य पृथ्वी का शक्तिशाली इन्सान हो सकता हैं। इसके प्रभाव सेे भूख प्यास को रोकने को भी शक्त्तिि आ सकती हैं। वहीं पर यदि यह चक्र ब्लॉक है तो गले से सम्बन्धित विकार हो सकते है।
Thyroid gland प्रभावित हो सकती हैं। जातक को बोलने की क्षमता मे कमी हो सकती हैं। किसी से बात करने में भी भय महसूस हो सकता है। जातक को हकलाहट की भी समस्या हो सकती है।

आज्ञाकार चक्र
इस चक्र को तीसरी आंख के नाम से भी जाना जा जाता हैं। इसका स्थान माथे के मध्य भाग में दोनों भौहों के बीच में स्थित हैं। इस चक्र में अपार सिद्धि एवम शक्तियां छिपी हुई हैं । इस चक्र के जागृत होते से सभी पूर्व जन्म की संचित सिद्धियां एवम शक्तियां जागृत हो जाती हैं।
व्यक्ति एक सिद्ध पुरुष भी बन सकता हैं। सामान्य तरीके से देखा जाए तो जो जातक की उर्जा यहां पर केंद्रित रहती हैं उन का बौद्धिक स्तर से उच्च और संपन्न हो सकता हैं। बहुत ही तेज दिमाग और बुद्धिमत्ता से धनी व्यक्तित्व हो सकता हैं। पर कुशलता और बुद्धित्व का प्रदर्शन नहीं करते बल्कि मौन धारण किए रहते हैं। इसे ही बौद्धिक सिद्धि कहते है।
आज्ञाकार चक्र ये मुनष्य और दिव्य चेतना को जोड़ने का काम करता है। यह तीन सिद्ध नाडिया इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी का मिलन केंद्र है। तीनों नाडियो का संगम यहीं पर होता हैं। जब यहीं संगम उच्च स्तर पर पहुंच जाए तो समझिए जातक गहरे ध्यान में गहराई में पहुंच सकता हैं।

सहस्त्रार चक्र
ये चक्र सिर के शीर्ष पर स्थित होता हैं। जिसे ब्रह्मरंध भी कहते है। इस चक्र के कोई विशेष गुण या रंग है ऐसा नहीं कह सकते। इस चक्र की pure energy and pure white light है। इसमें सभी रंग fullfil है। इस चक्र के जागृत होने पर सर्वोच्च चेतना की प्राप्ति होती हैं। जातक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते है। यह चक्र आत्मसाक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति हेतु लक्ष्य प्राप्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
जिनका सहस्रार चक्र जाग्रत हो जाता हैं उसे समस्त संसार के कर्मबंधनों से मुक्ति मिल सकती हैं। जन्म मरण के चक्रव्यूह से भी तो पूर्णतः मुक्ति।

conclusion
सात चक्र एवम उनके स्थान के बारे मे लिखा है। हर चक्र का अलग अलग विवरण सहित उनके स्थान और उनकी जागृत और अजागृत अवस्था में क्या होता हैं वह भी कहा है। इससे जातक खुद के कौनसे चक्र ब्लॉक है या नहीं खुद अंदाज लगाकर समझ सकते है। आवश्यक हो तो खुद मे कोई बात का बदलाव भी ला सकते हैं।
पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
ॐ नमः शिवाय रुद्राय नमः
जय श्री कृष्ण