क्या आप जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के 64गुण?

श्री कृष्ण 64 गुण मे पारंगत थे। जैसे उनके विभिन्न रूप थे वैसे उनमें विभिन्न गुण भी थे। श्री कृष्ण जैसे गुणी मनुष्य के रुप मे इस धरती पर एक जन्म व्यतीत कर चुके।

  1. नृत्य श्री कृष्ण नृत्य कला में निपुण थे, वे नृत्य करना भी जानते थे।
  2. वाद्य श्री कृष्ण को बांसुरी तो प्रिय थी ही इसके साथ ही श्री कृष्ण अलग अलग वाद्य बजाना भी जानते थे।
  3. गायन विद्या श्री कृष्ण को गायन विद्या मे भी रुचि थी, वे गायकी भी अच्छे से जानते थे।
  4. नाट्य रूपांतरण श्री कृष्ण तरह तरह के हावभाव प्रकट किया करते थे। अभिनय भी किया करते थे अलग अलग तरह के।
  5. इंद्रजाल श्री कृष्ण जादूगीरी भी दिखाते थे। यहां जादूगिरी का अर्थ चमत्कार से हैं।

6. नाटक अख्यायायकी श्री कृष्ण ने इसकी रचना भी की थी।

7. सुगंधित पदार्थ भी बनाते थे श्री कृष्ण भगवान जेसे इत्र तेल ।

8. फूलों से आभूषण बनाकर श्रृंगार करने का भी गुण था श्री कृष्ण मे।

9. भगवान श्री कृष्ण के गुण मे यह एक अनोखा गुण यह भी था की वे वेताल आदि को भी वश में रखने की वििद्या जानते थे।

10. जहां श्री कृष्ण की एक ओर ऐसे अनोखी विद्या थी वही दूसरी ओर बच्चों से बच्चो के खेल कैसे खेलें जाए वह भी जानते थे।

11. दुसरो को कैसे विजय प्राप्त करवाई जाए दूसरे को विजयी कराने की विद्या भी जानते थे।

12. शुभ अशुभ कब कैसे क्यों होता हैं। शकुन अपशकुन क्या है ये सब भी बतलाते थे।

13. यहां तक श्री कृष्ण को रत्नों की भी पहचान थी। वे रत्नों को अलग अलग प्रकार के आकार में काटना भी जानते थे।

14. वे कई प्रकार के यंत्र बनाना भी जानते थे।

15. श्री कृष्ण के गुण मे मंत्र विद्या भी एक गुण था उन्होंंने कई प्रकार के मंत्रो में सिद्धि प्राप्त कर ली थी।

16. श्रीं कृष्ण को सांकेतिक ज्ञान भी था।

17. जल जिसका गुण हैं बहना श्री कृष्ण जल को बांधने की कला भी जानते थे।

18. श्री कृष्ण भगवान को बेलबुटे बनाने का भी गुण था।

19. श्री कृष्ण को सजावट करने के भी गुण थे, वे रंग बिरंगा चावल बनाकर , जौ और फूलों से किसी भी प्रकार की सजावट करते थे।

20. श्री कृष्ण फूलों की सेज भी बनाते थे।

21. भगवान श्री कृष्ण विभिन्न पक्षियों की बोलियां भी बोलते थे। तोता मैना की बोली निकालने की कला को भी जानते थे।

22. अनेक वृक्षों में पाई जाने वाली औषधि गुण एवम वृक्षों के दूसरो गुणों से भी भलीभांति परिचित थे।

23. ॐ श्री कृष्ण भेड़ मुर्गे बटेर को आपस मे सिर्फ मनोरंजन हेतु लड़ाना जानते थे।

24. श्री कृष्ण उच्चाटन की विधि को भी जानते थे।

25. श्री कृष्ण ने गृह कारीगिरी में महारत हासिल की थीं।

26. श्री कृष्ण तो गालीचे दरी बनाने की कारीगिरी भी जानते थे।

27. यहां तक श्री कृष्ण बढ़ई की कारीगिरी भी करते थे।

28. बेंत और लकड़ी की चीजे जैसे आसन कुर्सी पलंग ऐसे लकड़ी की चीजे बनाना भी जानते थे।

29. अब ये सब तो रही सिर्फ कारीगिरी की बात श्री कृष्ण तो एक अच्छे cook भी थे। तरह तरह की सब्जियां रसीले पकवान मीठे पकवान कढ़ी ऐसे अनेकों स्वादिष्ट भोजन बनाने के गुण भी थे।

30. श्री कृष्ण भगवान में कमाल की फुर्ती थी उनके हाथों की फुर्ती से बड़े बड़े काम यू ही हो जाते थे।

31. श्री कृष्ण के श्रेष्ठ गुण में से एक ये भी गुण हैं कि वे जब चाहे जैसे चाहे वैसे कोई भी वेश धारण कर लिया करते थे।

32. श्री कृष्ण तरह तरह के स्वादिष्ट मृदु तरल पदार्थ भी बना लिया करते थे।

33. वे घृत क्रीड़ा भी बड़े अच्छे से खेल लिया करते थे।

34. श्री कृष्ण को वेदों का ही नहीं बल्कि समस्त छंदों का भी ज्ञान था।

35. वे वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या को भी जानते थे।

36. वे कोई भी दूर की वस्तु या मनुष्य को आकर्षित करने की क्षमता रखते थे।

37. श्री कृष्ण आकर्षक कपड़े और गहने बनाने का भी गुण रखते थे।

38. फूलों से या हीरे मोती से जड़ित आकर्षक डिजाइनों में हार माला भी बनाना जानते थे।

39. विशेषकर स्त्रियों की चोटियों को आकर्षक रुप से सजाने के लिए फूलो को चोटी में गूंथने की कला के भी जानकर थे।

40. वे कठपुतलियां भी बनाते थे मनोरंजन हेतु।

41. श्री कृष्ण सुंदर सुंदर मूर्तियां और प्रतिमाएं बनाने की भी कला जानते थे।

42. श्री कृष्ण पहेलियां भी बनाते थे और पहेलियां बुझते भी थे।

43. सिलाई कढ़ाई कसीदाकारी करने में भी माहिर थे।

44. जय हो श्री कृष्ण पॉवरफुल सिद्ध्ध की

हुई सिद्ध मंत्रो और जड़ी बूटियों औषधियों के भी ज्ञानी थे।

45. बालों की सफाई के लिए सुगंधित जरुरी वस्तुओं को मिलाकर उपयोग करने की भी कुशलता थी श्री कृष्ण मे।

46. वे दूसरों की मन की बात को जान भी लेते थे, समझ भी लेते थे और बता भी दीया करते थे।

47. उन्हें दुसरे देशों की भाषाओं का भी ज्ञान था, सभी भाषाओं की बोली वे जानते थे।

48. काव्य रचना करना एवम कविताओं की रचना भी संकेतो में ही करते थे जिसे कोई जानकर व्यक्ति ही समझ सकते थे।

49. रत्न परीक्षण भी जानते थे चाहे हीरा पन्ना कुछ भी हो सबकी परख थी।

50. सोने चांदी को तराशकर सुंदर आकर्षक गहने बनाने के तरीके भी जानते थे।

51. यहां तक कि केवल मणि के रंग से ही मणि की पहचान बता देता थे।

52. खाद्य सामग्री की quality smell और taste की भी अच्छी पहचान थी।

53. वे चित्रकारी का भी शौक रखते थे और बहुत ही सुंदर चित्रकारी किया करते थे।

54. दांत से बनी वस्तुओं को और वस्त्रों को रंगने की कला भी थी।

55. शय्या कैसे रची जाए ये भी गुण थे श्री कृष्ण मे।

56. घर की आंतरिक सुसज्जा करना भी जानते थे। हीरे मोती से जड़ित सुसज्जित किया करते थे।

57. कूटनीति का प्रयोग कहा कैसे और कब करना है ये ॐ श्री कृष्ण अच्छे से जानते थे।

58. ग्रंथो का ज्ञान भी रखते थे और ग्रंथो को पढ़ा कर चतुराई से सीखाया भी करते थे।

59. बातो ही बातो में मुस्कुराना और नई नई बाते निकालकर पुरानी बातो को ignore कर आगे बढ़ने की खूबी अच्छे से जानते थे।

60. श्री कृष्ण भगवान के पास हर समस्या का समाधान था।

61. उन्हे समस्त कोशो का ज्ञान भी था।

62. यदि कोई श्लोक चरण या पद अधूरा रहता हैं तो उसे अपने शब्दों में ढालकर पूर्ण करने की क्षमता रखते थे।

63. जहा छल से काम निकालना है वहा श्री कृष्ण भगवान छल का ही उपयोग किया कटते थे।

64. पत्तो शंख हाथी दांत से से भी कई वस्तु तयार करने की कला भी जानते थे श्री कृष्ण।

conclusion ऐसे तो श्री कृष्ण भगवान में कई अनगिनत गुण हैं क्युकी वह सर्वव्यापी इश्वर है वे हमारे बारे में भी सब जानते हैं। उनकी सच्चे मन से भक्ती श्रध्दा से की जाय तो वे जीवन में हमेशा मार्ग दिखाते और वे किसी ना किसी रूप में सदेव हमारे साथ ही रहते हैं।

जय श्री कृष्ण

सदा हम सब पर आपकी कृपा दृष्टि बनाएं रखें।🙏🙏

dr harsha khandelwal द्वारा प्रकाशित

I am distance healer ,can heal your any problems.want to know your future'solutions send your image,tell your future related problems solution

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