जो लोग अपनें जीवन से संतुष्ट नहीं रहते, वे कभी भी शांत नहीं रह सकते

मन का मूल स्वाभाव ही हैं चंचलता। मन हमेशा कोई कोई विचारों में उलझा ही रहता हैं। मन हमेशा एक भटकाव की स्थिति में रहता हैं। मन को अपने पसंद का दिख गया मनपसंद मिल गया ये बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ने लगता हैं। कभी उकता जाए तो ये विपरीत दिशा में दौड़ने लगता हैं। निर्णायक भूमिका में भी मन कभी हां कभी ना की असमंजस्ता में फसा रहता हैं।

भी ये शांत भी हुआ तो मन में अचानक से विकार आने लगते है मन की शांति भंग होने से मन और शांति की लड़ाई शुरू हो जाती हैं। मन भी बडा चालक और होशियार है इसने संपूर्ण दिल दिमाग शरीर सबको अपने वश में कर रखा है, सब पर कुंडली मारकर कब्जा कर के बैठा है। इस लिए हम हर वक्त स्वयं से ही सवाल करते मेरा मन शान्त क्यों नहीं रहता हैं।

मन और शांति

  1. मन हमारा एक महासागर की तरह जितना ऊपर से उथला उतना ही अंदर से गहरा। जहां विचारों की लहरे किनारे पर आकर टकराकर लौट जाती हैं और इसी उथल में मन की शांति भंग हो जाती हैं।
  2. एक पानी के बहाव की तरह हैं मन, जैसे पानी का स्वाभाव हैं अस्थिरता जो भी मिले उसके अनुरूप बन जाना। मन भी अच्छे बुरे जैसे भी परिस्थिति जैसे भी विचार उसके अनुरूप बन जाता हैं।
  3. हमारे भागते हुए अनगिनत विचारों के कारण हमारा मन भी भागते रहता ये भी एक मुख्य कारण है ऐसे में हमारा मन शांत कैसे रखें?
  4. हमारे विचार हम जहां जिनके साथ रह रहें हैं वहां होने वाली घटनाओं , दूसरो का व्यवहार नैतिकता और समर्पण की भावना भी बहुत मायने रखती हैं मन की एकाग्रता और शांति के लिए।
  5. नाकारात्मक परिस्थितियों में नकारात्मक ऊर्जा create होती ही हैं, ऐसे में negative thoughts तो मन में आते ही है इतना कोशिश करके देखिए कि आपका मन उन विचारों को पकड़ कर ना रख सकें। तुरंत ही delete कर सकते mind divert se, आपको जो भी पसंद है वह करिए।
  6. यहीं grudges life को desturb करते और इसका बोझ मन पर से यदि ना हट पाए तो बढ़ते समय के साथ unwanted negative thoughts का भी बोझ बढ़ता जाता जो की मानसिक स्वास्थ्य की हानि हो सकती हैं।
  7. बीमार भावनाओ और शिकायतों को पोषण देने वाले लोग मन मस्तिष्क में एक ही विचार को stuck होकर रहते, बार बार एक ही बात लगातार सोचने वाले लोग ही मानसिक अवसाद डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में अपने मन को शांत करने वाली बाते सत्संग जाए, ईश्वर की आराधना करे या आपके कोई रुचिकर कार्य को करिए।
  8. हालातऔर लोग ज़रूरी नहीं आप चाहते वैसे ही मिले और वैसे ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते। ऐसे मौकों पर खुदको बदलने की उस स्थिति में खुदको ढालने की कोशिश की जा सकती यदि संभव हो तो। यदि कुछ रिश्ते या अवसरों पर दूरियां ना हो तो कभी कभी कुछ त्याग कर समझौते भी करने पड़ते जीवन में। इसमें कोई बुराई भी नहीं।
  9. कभी कभी दुसरो को माफ भी कर दो, समझौते भी कर दो तो भी दुनिया में ऐसे विरले लोग भी हैं जिनकी मानसिकता बिलकुल नहीं बदलती ऐसे लोगो से समय रहते समझदारी से दूरियां बना लेना ही उचित है।

10. हमारी इच्छाएं जब मन पर हावी होने लगती हैं और विपरित परिस्थितियों में इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती , मानसिक और भावनात्मक कष्ट झेलने पड़ते हैं ऐसे में स्वयं ही खोजिए खुद के लिए मन शान्त करने के उपाय जो आप को सुकून दे सके।

11. अतीत और भविष्य की चिंता में वर्तमान की स्थिति भी बिगड़ सकती हैं। ज़िंदगी में एक ठहराव सा आ जाता हैं और life progress भी नहीं हो पाती, मुसीबतें दिक्कतें और शुरू हो सकती क्योंकि अशांत मन कोई भी कार्य ठीक से नहीं कर पाता।

12. आंतरिक क्रोध सबसे बड़ा कारण है जीवन को अस्त व्यस्त और मानसिक शांति मे हस्तक्षेप करने में ये क्रोधित विचार इंसान को अंदर ही अंदर खोखला बना कर आजीवन रोगी बना सकती हैं।

13. मन और शान्ति की लडाई

क्यों जारी रहती हैं? मन तो अंदर बैठे इच्छा पुरी कराने के लिए हुक्म देता है और बेचारा शरीर उस हुक्म को पुरा करने में struggle करता रहता इसी में दोनों का अंतर युद्ध निरंतर जारी रहता।

14. भला इस लड़ाई में चेहरा हैं जो कि हमारी पहचान हैं वह भी फीका दिखने लगता हैं समय से पहले बुढ़ापे का आवरण चढ़ सकता हैं। उम्र भी विचारों के जाल में फसकर मन की बैचैनी से घट कर रह जाती हैं।

15. मन को शांत कैसे बनाएं रखें?

इसका कारण भी हमे खुद खोजना होगा। Situation को face करके handle करिए, problems का solutions ढूंढकर। Negative situation में भी खुदको stable रखकर बीना stuck हुए हालातों को बदलने की क्षमता हम सभी मनुष्य में हैं। बस सही समय पर सही निर्णय लेकर खुद को सुरक्षित और खुश रख सकें।

Conclusion

कहने का सारांश यही हैं की जीवन की यात्रा जो हम इस धरती पर पुरा करने आए हैं । कर्मों के चक्रव्यूह में कोई भी समस्या से उलझे रहने से हम ना मानसिक ना भावनात्मक तरीके से ना ही आध्यात्मिक तौर पर उन्नति कर पाते। एक बिंदु पर अटके रहने से जीवन उस बिंदु पर थम कर रह जाती है। इसीलिए ईश्वर की आराधना करने से, विश्वास रखने पर ईश्वर हमे हर मुसीबत में मार्ग दिखाते हैं आंतरिक मन की शांति ही सब कुछ है एक खुशहाल स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए।

ॐ नमः शिवाय

जय श्री कृष्णा 🙏🙏 आपको मेरा यह ब्लॉग कैसे लगा जरुर विचार प्रकट करें। बहुत बहुत धन्यवाद।

dr harsha khandelwal द्वारा प्रकाशित

I am distance healer ,can heal your any problems.want to know your future'solutions send your image,tell your future related problems solution

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