
महाशिवरात्रि की रात को जागने के पीछे बहुत ही महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ठोस कारण भी है। इस रात ग्रह का उत्तरी ध्रुव इस तरह स्थापित हुआ रहता है कि natural way से ही मनुष्य की जो सकारात्मक ऊर्जा सहस्त्रार चक्र की तरफ यानी शरीर के ऊपरी तरफ बह रही होती हैं। प्रकृति खुद मनुष्य की मदद करती हैं आध्यात्मिक उन्नति के लिए एवम जो ऊर्जा उत्पन्न हुई हैं उसे सही तरीके से channelized करने के लिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि का संपूर्ण लाभ spiritual power’s का मिल सके इसलिए शास्त्रों में महाशिवरात्रि को रात भर जागरण और मेरुदंड सीधा करके बैठने की बात कही गई हैं। ताकि भक्तो की शारीरिक व्याधि दूर होकर मानसिक और आध्यामिक उन्नति हो सके।
इस दिन शरीर मे सकारात्मक उर्जा का संचार होता हैं। साथ ही आध्यात्मिक राह पर आगे बढ़ने के लिए सबसे उचित दिन माना जाता हैं। यह नास्तिको के लिए भी अध्यात्मिक उन्नति का दिन माना जाता हैं।
महाशिवरात्री साधना
महादेव शिव शंकर को सबसे सरल देवता माना जाता हैं। इसीलिए उन्हे भोलेनाथ भी कहते हैं। उन्हे मनाने के लिए भी सरल ऊपासना और साधारण भक्ती भावना से ही भगवान शिव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
यह प्रचलित मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान ने संपूर्ण संसार की रक्षा के लिए विषपान किया था। उस विष को हमेशा के लिए अपने कंठ में स्थापित कर लिया था। जिस कारण भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता हैं।
उस विष के कारण भगवान शिव के शरीर में उथल पुथल मच गई थी। विष की उष्णता को कम करने के लिए और शीतलता प्रदान करने के लिए दूध से अभिषेक किया जाता हैं। शिव का अर्थ है शक्ति या ऊर्जा।

महाशिवरात्रि की पूजा
महाशिवरात्री के दिन शिवजी के अभिषेक का एक विशेष महत्व है। सभी भक्तजन महाशिवरात्रि के दिन मंदिरों में पूजा अर्चना , प्राथना करने के लिए जाते हैं। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, भांग, बेलपत्र, धतूरा, फूल, फल, शहद, धूप, पान के पत्ते, मिठाई आदि चढ़ाकर पूजा की जाती हैं।
महाशिवरात्री के दिन ॐ नमः शिवाय का जप रूद्राक्ष की माला से जरुर कर सकते हैं। रूद्राक्ष माला से करने के पीछे भी ये एक कारण है कि रूद्राक्ष में भी दो शब्द छीपे है। रुद्र और अक्ष ये भगवान शिव के आंसुओ से रूद्राक्ष की उत्पति हुई थी।
रूद्राक्ष की माला से जप ने से भगवान शिव का हमे आशीर्वाद प्राप्त हो सकता हैं। हमारे चंचल मन में स्थिरता आती हैं और मन शांत होता हैं। जीवन के दुःख मिटते है, निराशावादी से आशावादी बनते है। दिल की धड़कन में अस्थिरता से स्थिरता आने लगती हैं।
रक्तचाप भी नियंत्रित हो सकता हैं। क्रोध पर काबू पा सकते हैं। मन में दया भाव प्रेम समर्पण का भाव उत्पन्न हो सकता हैं। ॐ नमः शिवाय का जप आप चलते फिरते या रोज की दिनचर्या करते हुए। कोई भी आपका कार्य करते हुए यहां तक की यात्रा करते हुए भी जाप कर सकते हैं।
आप जितने ज्यादा जप सच्ची दिल से सच्ची श्रद्धा से महादेव के स्मरण में करेंगे उतने ही अपने आपको जीवन के हर संकट से निकलता हुआ पा सकते हो। तन मन से भगवान शिव के शरण में जाकर स्वयं को समर्पित करके तो देखिए । फिर देखिए क्या जीवन में होता बदलाव और चमत्कार।
महाशिवरात्रि उपवास
महाशिवरात्रि के दिन सच्चे दिल से भक्ती भावना से भगवान शिव के लिए व्रत रखा जाए तो जीवन में जानें अनजाने जो भी पाप किए वह नष्ट हो सकते हैं। यहीं कारण है कि महाशिवरात्रि के व्रत को सभी व्रतो का राजा कहा जाता हैं।
इस दिन उपवास रखने से प्राकृतिक तरीके से भी हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता हैं। जिससे हमारे मन में एक शान्ति, सुकून का एहसास हो सकता हैं। शिवलिंग जो कई ब्रह्मांडीय ऊर्जा का स्त्रोत हैं इसीलिए शिवलिंग पर बिल्वपत्र, दूध इत्यादि विधिवत से पूजा की जाए सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं साथ सौभाग्य में भी वृद्धि हो सकती हैं। आपकी सारी इच्छाएं, मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती हैं।

महा शिवरात्रि पर्व विशेष महत्व
महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का दिन है। शिवरात्री के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था। महाशिवरात्रि बोधिसत्व का पर्व है।
बोधिसत्व एक ऐसा पर्व कहा जाता हैं जिसमें साधना करने पर साधक को एहसास होता हैं कि हम भी शिव का ही अंश है। शिवजी मेरी अंतरात्मा में समाए हुए हैं। साधक खुदको शिव के संरक्षण में सुरक्षित महसूस करते हैं।
शास्त्रों में भी ऐसा माना जाता हैं कि श्रृष्टि की संरचना भी इसी दिन अर्धरात्रि को भगवान शिव का निराकार रूप से साकार रूप में अवतरण से हुआ था।
ॐ नमः शिवाय 🙏🙏
हर हर महादेव
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