मंत्र जाप के चमत्कारी फायदे
मंत्र से अनेक रोगों का नाश होता है। जटिल रोग को बहुत दिनो तक लगातार non stop मंत्रोच्चारण ठीक करने की क्षमता रखता है।
मंत्र जाप से हृदय शुद्ध हों सकता है।
मंत्र जापसे भ्रम और अज्ञानता को दूर कर सकते है।
मंत्र जाप करते रहने से मन के भीतर का भय समाप्त होकर मन को निडर और मजबूत बना सकता है।
मंत्र जाप अशांत मन को शांत कर असीम शांति का अनुभव करा सकता है।
मंत्र जाप हमारे पिछले जन्म के सारे पापो को भस्म कर पापो से मुक्ति दिलाता है।
मंत्र जाप से सोई हुई कुंडलिनी शक्ति भी जागृत हो सकती हैं ।
मंत्रजाप से सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती हैं।
मंत्र जाप से इष्ट देवता भी प्रकट हो सकते है।
मंत्र जाप से जन्म मरण के चक्र से भी मुक्ति मिल सकती हैं।
मंत्र जाप का फल
जब कोई भी साधक मंत्र जाप करते है तो एक सकारात्मक ऊर्जा शक्ति प्रवाहित होने लगती हैं। मन भी बाहर की बातो में भटकता नही है।
मन एकाग्रचित होकर ध्यान पूरा मंत्र पर स्थापित हो जाता हैं। शारिरिक, मानसिक, आत्मिक तौर पर साधक में एक पवित्रता आने लगती हैं।
आत्मशक्ति बलवान और आत्मा की उन्नति दिन प्रतिदिन साधक की साधना जैसे जैसे बढ़ने लगती हैं वैसे वैसे आत्मा में पवित्रता आना शुरू हो सकती हैं।
साधक के आत्मा उन्नति तो होती ही हैं साथ ही साधक के संपूर्ण परिवार भी लाभान्वित होने लगते है। जाप मंत्र ध्यान से एक ऊर्जा शक्ति का निर्माण होता हैं साधक के अंदर से वह ऊर्जा शक्ति निरंतर प्रवाहित होती रहती हैं।
पूरे घर में वह सकारात्मक ऊर्जा विस्थापित होती रहती हैं, घर का कोई बीमार सदस्य भी इस ऊर्जा से ठीक हो सकता है। यदि साधक साधना की सर्वोच्च ऊंचाई तक पहुंच चुका है तो यह सब संभव है।
हाँ मंत्र जपने से साधक के जीवन में बहुत सी चमत्कारिक घटनाएं जरूरत पड़ने पर होती रहती है।
मंत्रो के जाप का प्रभाव साधक के व्यक्तित्व में भी झलकता है। Aura clean and pure होने से purity से साधक में एक प्रकार की शुद्धता और सौम्यता नजर आती है।
जितना समय और ऊर्जा आप मंत्रो को देंगे उतना प्रतिफल मिलेगा ही मिलेगा ईश्वर हमें उदारता पूर्वक स्वीकारता हैं बस इसमे मंत्रो की जप संख्या का विशेष प्रभाव होता है आप मंत्रों की संख्या जितना अधिक से अधिक जाप में रखेंगे उतना ही मंत्र शक्तिशाली होता है और ईश्वर की उदारता भी।
उस देवी या देवता जिसके मंत्रो का आप जाप करते है उसकी कृपा आपके ऊपर धीरे धीरे असर करने लगेगी। आपको हर वक्त उनका protection महसूस भी हो सकता है।
साधक के चेहरे पर, उसके मस्तक पर धीरे धीरे विशेष प्रकार का आकर्षण देखने को मिलने लगता है और साधक की वाणी में धीरे धीरे सरस्वती का वास होने लगता है साधक के मुँह से निकली बातें सत्य होने लगती हैं ऐसा प्रभाव देखा गया है।

मंत्र जपते वक्त इन बातो का भी ध्यान रखें
एक ही मंत्र जाप लगातार एक ही माला से करने से मंत्र सिद्ध हो सकता है। वही माला इस्तमाल करते वक्त टूट जाए तो दोबारा से उसे 108 मणि को एक माला में पिरोकर उपयोग कर सकते हैं।
ये कोई अशुभ संकेत नहीं है जैसे कई लोग घबराकर मुझसे पूछते है बल्कि ये शुभ संकेत है। बल्कि माला के द्वारा आपकी negativity absorbed हुई है।
पहले दिन आपने मंत्र जाप की माला अधिक कर ली फिर कुछ दिनों में समय के अभाव में माला कम कर दी या बंद कर दी ऐसा मत करिए। आप नित्य प्रतिदिन कर सकते है तो ही शुरू करिए और एक माला कर सकते है तो एक का ही नियम रखिए। यदि आपकी शक्ति सद्भावना है तो ज्यादा भी करिए पर पहले बढ़ाकर घटाना ना पड़े इस बात का ध्यान रखिए।
एक समय पर कितने मंत्र जाप करें यह हर एक साधक के श्रद्धा समर्पण भाव पर निर्भर है। कई लोगो को ये शंका होती हैं कि इतना ही गिनती का करे या ना करें ऐसा कुछ नहीं है आपकी श्रद्धा और आस्था शक्ति अनुसार कर सकते है।
हां यदि कोई आपने कोई मंत्र जाप पूर्ण करने की मन्नत ली है तो उतना आप जरुर पूर्ण करे। कई बार कई लोग मन्नत तो ले लेते है पर कार्य पूर्ण होने के बाद मन्नत को पूरी करना ही भूल जाते है। फिर जीवन में विघ्न और कठिनाइयां क्यों आ रही है नहि समझ पाते और जीवन में इधर उधर भटकते रहते।
कई लोगो ने मुझ से पूछा भी है कि रुद्राक्ष माला से मंत्र जाप करते उसे धारण कर या नही, तो आप बेहिचक निः संदेह धारण कर सकते है। बल्कि मंत्र जाप की शक्ति निरंतर आप के साथ ही रहेंगी।
मंत्र जाप करते समय जरुर रखे इन बातो का ध्यान तभी मिलेगा जाप का पूरा फल
अलग अलग मंत्र जाप करने के लिए अलग अलग माला का उपयोग किया जाता है इसके पीछे भी ऋषि मुनि द्वारा बताए कुछ कारण हैं कि अलग अलग माला से मंत्रोचारण करने से साधक को साधना का उचित फल भी मिलता है और हर माला का प्रभाव भी एक दूसरे से भिन्न है।
जैसे शिवजी, गणेशजी, पार्वती मां के मंत्रो उच्चारण के लिए रुद्राक्ष की माला, विष्णु भगवान, श्री कृष्ण और सूर्य देव के मंत्रो के लिए तुलसी की माला और माता लक्ष्मी, गायत्री मां के लिए कमल गट्टे की माला साथ ही साथ अन्य मंत्रो के लिए स्फटिक की माला। शास्त्रों के अनुसार सभी मंत्रो के लिए रुद्राक्ष स्फटिक की माला भी इस्तेमाल की जा सकती हैं।
सर्वप्रथम ईश्वर की आराधना के पहले शरीर का स्वच्छ होना भी जरूरी इसलिए स्नान करके धोए हुए साफ सुथरे वस्त्र धारण करें।
कभी भी माला को खुला रखकर जाप करते हैं तो जप से निर्मित सारी positive energy वायु मंडल में विस्मृत हो जाती है जो कि साधक की मेहनत waste हो सकती हैं इसलिए माला को गोमुखी या कपड़े से ढककर ही जपना चाहिए।
मंत्रजप करते वक्त मंत्र का उच्चारण मन ही मन करने से साधक को सौ प्रतिशत फल मिल सकता है वहीं जोर जोर से मंत्र बोलते हुए माला करने से प्रतिफल अपूर्ण ही मिल सकता है।
कभी भी मंत्र जाप या आराधना ईश्वर की बिस्तर पर बैठकर नहीं करना चाहिए जमीन पर ही साफ सुथरी जगह पर ही बैठना चाहिए। हो सके तो बैठने का भी कोई निश्चित स्थान बना ले।
आपको आसन जमीन पर ही रखकर बैठना है। इस बात को अवश्य ध्यान दे कि संपूर्ण शरीर पैर भी आसन पर ही हो, आसन के बाहर ना हो।
परिवार में हर सदस्य का आसन अलग अलग होना चाहिए
ना कि हर कोई ईश्वर की आराधना करने के लिए एक ही आसन का इस्तेमाल करे।
यदि सभी सदस्य ईश्वर की आराधना के लिए एक ही आसन का इस्तेमाल करते है तो ऊर्जा शक्ति एक दूसरे की आपस में टकराती हैं जो कि घर में लड़ाई झगड़े का कारण भी बन सकती हैं।
मंत्र जाप के पहले जमीन पर आसन बीछाकर आसन को नमन करे सुखासन, पद्मासन, अर्धपदमसं जिसमे भी कंफर्टेबल फील हो बैठ सकते है।
पर एक बात का ध्यान रखें की आसन को पैरों से आगे पीछे नहीं हटाए जो कि कई लोगो कि आदत होती हैं। जिस आसन पर बैठकर इश्वर से connect होते है उसे पैरो से आगे पीछे नहि करना चाहिए।
मंत्र जाप साधना करते वक्त मेरुदंड सीधा रखकर बैठे किसी दीवार या किसी चीज को सहारा बनाकर ना बैठे। पीछे रीढ़ की हड्डी से ही ऊर्जा शक्ति निमार्ण होती हैं और universe से connection बन पाता है साधक का टेढ़ा मेढा बैठने से ऊर्जा शक्ति desturb हो सकती हैं।
मंत्र जाप के वक्त तर्जनी और छोटी उंगली आपस मे टकरानी नही चाहिए ना हि नाखून माला से छू रहे ये भी ध्यान रखें।
माला करते वक्त आंखो को बंद रखे। ताकि बाहर की दुनिया से संबंध विच्छेद हो।

पूरा ध्यान मंत्र जाप करते हुए मंत्रो पर ध्यान लगाए ना किसी से भी बात करें ना किसी की कोई बात का जवाब दे।
वह मंत्र जाप का समय अपनी आत्मा की उन्नति के लिए रखें ताकि आप उचित फल प्राप्त होने से वंचित ना हो सके।
मंत्र जाप की शक्ति healing water 💦
Healing water 💦
कैसे बनाए जिससे आपके परिवार को और आपको इस जल का फायदा मिल सकता है। मंत्र जाप करने से पहले एक कांच के ग्लास में पानी भर कर सामने रख ले। फिर माला जप शुरू करे, जपते वक्त जो भी ऊर्जा निर्मित होगी वह पानी के ग्लास में अवशोषित होती रहेंगी। माला जप पूरी होने के बाद माला को उस जल में पांच मिनट के लिए डाल कर रख ले।
पांच मिनट बाद उस जल से mala निकाल लीजिए, आपका healing water तैयार हो गया है। अब इस पवित्र जल को सारे परिवार को पीने दीजिए और थोड़ा जल पूरे घर मे छीढक दीजिए। पूरे घर की, सभी परिवार के सदस्यों की हीलिंग हो गई वह भी पवित्रता के साथ। घर से नकारात्मक ऊर्जा भी बाहर निकल गई साथ ही सकारात्मक ऊर्जा शक्ति का भी संचार हो गया।
Conclusion
मंत्रजाप द्वारा आपको अधिक से अधिक कैसे उचित फल की प्राप्ति हो सके साथ ही साथ सही तरीका क्या हैं ये भी बताया हैं। साधना करते वक्त क्या और कौनसी गलतियां ना करने से कैसे हम सही राह पर चलकर ईश्वर के करीब पहुंच सकते है और हमारी life में positivity भी create हो सकती है। ये सब जानकारी मेरी आध्यात्मिक राह पर चलने से मिली है आपको कैसे लगी और आपके लिए उपयोगी है तो जरुर comments करके share भी करे।
🙏🙏🙏🙏धन्यवाद
जय श्री कृष्ण
ॐ नमः शिवाय