नाक के दाहिने छिद्र से सांस लेते हैं और इसके चलने वाले स्वर को कहते हैं सूर्य स्वर
नाक के बाए छिद्र से सांस लेते हैं और इसके चलने वाले स्वर को कहते हैं चंद्र स्वर
नाक के दोनो छिद्र से चलने वाली सांस को सुषुम्ना कहते है
सूर्य स्वर साक्षात शिव स्वरूप है
चंद्र स्वर साक्षात देवी स्वरूप है
सुषुम्ना स्वर साक्षात काल स्वरूप है।

स्वरोदय विज्ञान
सोने के तरीके में छिपा हुआ है स्वस्थ , प्रसन्न और सफल होने का राज
श्री चरणदासजी कहते है
“बायी करवट सोइए, जल बाएं स्वर पीव ।
दाहिने स्वर भोजन कर , सुख पावत हैं जीव।।
जिसने स्वर विज्ञान का ज्ञान प्राप्त कर लिया वह आजीवन रोगमुक्त रह सकता है साथ ही दूसरे को भी निरोगी कर सकता है। आइए फिर जानते है इसके तथ्य मे छिपी गहराइयों को।
कैसा भी रोग हुआ हो तुरंत स्वर बदल दे कहने का तात्पर्य यही है कि रोग के वक्त एक नासिका को बंद कर दूसरी नासिका से सांस ले, यही same procedure दूसरी नासिका से करके पहले check करिए। क्या अनुभव हुआ आपको तो जिस नासिका से श्वास की अनुभूति नहीं हुई उसी नासिका से सांस लेना शुरू करे तुरंत रोगमुक्ति की अनुभूति हो सकती हैं।
आप खुद ही अनुभव कर सकते जैसे जैसे एक नासिका को बंद करके दुसरे से लेते जा रहे हैं शनै: शनै: रोग विलुप्त होता जा रहा है। अरे सच कह रही कोशिश करके तो देखिए फिर मुझसे अपना अनुभव share करना ना भूलें।
कई लोगों की आदत होती है सोएंगे तो चित्त होकर सोते हैं कहने का मतलब समझ रहे है आप means सीधा सोने की आदत होती हैं। ऐसा सोने से सुषुम्ना स्वर चलने लगता हैं। अब आप ऐसे सोएंगे तो कुछ फायदा होगा नहीं बल्कि आपका नुकसान ही होगा।
बताती हूं सबसे पहले तो आपको constipation का problem शुरू हो सकता है। Food digest नहीं हो पाता morning में ये issue face करना पड़ सकता है इसलिए बाई करवट means left side से करवट लेकर सोइए रात को सोते वक्त ध्यान रखिए, हां फिर नींद लगने के बाद हो सकता है posture change’हो जाए than also it’s ok।
दूसरा तो इससे भी बड़ा issue हो सकता है चित्त सोने से क्योंकि सुषुम्ना स्वर के चलते आपको successful होने मे भी दिक्कतें आ सकती हैं। Life में कुछ भी कार्य के चलते hurdles भी आ सकते हैं। साथ ही रात्रि में नींद में भी खलल पड़ सकता है और हो सकता है आपको सपने भी विचित्र और डरावने आए जिसके चलते आपका दूसरा दिन भी बिगड़ सकता है।
फिर क्या सोचा left side करवट लेकर ही सोना है?

जन्म के पश्चात एक बच्चा एक मिनट में 40 बार सांस को ग्रहण करता है। कुदरत की ओर से हर प्राणी को औसतन संख्या दी हुई है जो सामान्यतः एक दिन में 21600 हैं। कोई भी व्यक्ती के आराम करते वक्त या नींद लेते वक्त स्वाभाविक है यह संख्या कम हो जाती हैं।
पर आजकल की दिनचर्या stressful , competitive nature, जीवन में सब कुछ पाने की चाहत ने और यहीं ऊहापोह में कलयुग का इन्सान खुद के ही बुने जाल में फंसे हुए हैं ऐसे में सांसों के ओर किसी का ध्यान शायद ही जाता होगा कि हमने कितनी सांसों का उपयोग किया है। यही कारण है सांसों की संख्या जल्द खत्म हो जाती हैं और इंसान की आयु जो nature ने तो 150 से 200 साल दी है वह भी घटकर मुश्किल से 50 से 80 तक रह गई है तो मैं फिर भी ज्यादा कह रही हूं आजकल तो इससे भी कम आयु में मृत्यु के आगोश में लोग समा रहें हैं।

सांसों की संख्या को प्राणायाम के द्वारा बढ़ाया जा सकता है और नियमित सही तरीके से करने से अपनेआप ही आपकी काया निरोगी और उम्र भी बढ़ सकती हैं।
प्राणायाम एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है प्राणायाम में सांसों को भीतर खींचकर ठहराया जा सकता है।
दिन के अनुसार सफलता कैसे प्राप्त करें और सदा के लिए भाग्योदय हो
Right is known as Daya and left is known as Baya
स्वर विज्ञान का अद्भुत रहस्य
सोमवार, बुधवार , गुरुवार और शुक्रवार के दिन बाई नाड़ी चले तो कोई भी कार्य कीजिए आप निश्चित सफल हो सकते हैं। साथ ही यदि यह शुक्ल पक्ष को पड़े तो इस का जरुर फायदा उठाइए यह समय आपके लिए विशेष फलदाई हो सकता है।
यद्यपि यह कृष्ण पक्ष भी हो और उस दिन भी यदि प्रातः काल में बाई नाड़ी यानी चंद्र स्वर कहने का तात्पर्य नाक के बाए छिद्र से सांस चल रही है तो समय ना गवाए इस दिन भी आप कोई भी कार्य करो सर्वसिद्धि सफल कार्य दिवस साबित हो सकता है।
यह दोनो पक्ष में लाभदायक बस कृष्णपक्ष में प्रातः समय का ध्यान रखिए। उपरोक्त स्थिति में कोई भी व्यक्ति लाभ उठाने में सक्षम हैं इसमें यदि ग्रह चक्र का समय भी उचित नहीं चल रहा हो तो भी यदि आपने चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी शोधन ठीक से समझ लिया और नाड़ी को जागृत कर चलाने की विधि सिख ली तो भी आप लाभान्वित होंगे और जो चाहते उसकी प्राप्ति कर सकते है।
आप साधना में सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। दवा रसायन का उपयोग कर रोगमुक्त हो सकते है। Lottery ticket में भाग्य आजमा कर जीत भी सकते हो। Business में success भी हो सकते हो, प्रेमी युगल की शादी में अवरोध आ रहा है तो यह नाड़ी के चलते और दिन में जो मैने आपसे उपर कहा यदि कोशिश करें तो सफल भी हो सकते हैं।
कहने का तात्पर्य यही है कि सामाजिक मर्यादाओं और बिना कोई कानून कायदा तोड़कर जिस किसी मे लाभान्वित होने की इच्छा है वह पूर्ण हो सकती हैं।

स्वर के चलते विशेष लाभ उठाने के तरीके
आप किसी उद्देश्य से कोई विशेष शुभ कार्य करने के लिए निकल रहे हो तो जिस तरफ का आपका स्वर चल रहा हो उसी तरफ का पैर सबसे पहले बाहर निकाल फिर आगे की यात्रा शुरू कर सकते है आपका इच्छित कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण हो सकता है।
जिस तरफ का स्वर चल रहा हो उस तरफ वाले हाथ से ही आप आपका कार्य शुरू करे या किसी कोई लेना देना वह करे, कोई व्यापारी हो तो उसी तरफ के हाथ से व्यापार शुरू करे means you understand what I want to tell स्वर के साथ ताल मेल बैठाकर चलने और कार्य करने से आपकी ऊर्जा का भी सही उपयोग होगा and you feel totally balanced.
चलिए मतलब की बात भी कर लेते हैं
यदि आपको किसी से अपना मतलब निकालना है तो आप अपना पहले स्वर किस तरफ चल रहा वह check करिए आपके स्वर के अनुसार उस व्यक्ती की तरफ बैठिए यदि आपका right side का स्वर चल रहा हो तो right side बैठिए और यदि आपका स्वर left side चल रहा हो तो उस व्यक्ती के left side बैठिए hope you understand very well ऐसा करने से आप उस व्यक्ती से जो काम निकालने आए हैं वह पूरा हो सक्ता है।
यदि यात्रा करके किसी व्यक्ती तक पहुंचकर कार्य पूरा करवाना है तो चंद्र स्वर में पास की यात्रा पर जा सकते है और दूर की यात्रा मे सूर्य स्वर में जाने से आपका कार्य शिघ्रता शीघ्र हो सकता है।
उपरोक्त बताई सभी बातें सत्य है आजमाने पर ही इसके मूल्य का पता चल जाएगा । सूर्य नाड़ी और चंद्र नाड़ी को समझने और उपयोग का सही तरीके से करने वाले को दुःख, हानि, शोक, दरिद्रता, असफलता जैसे बातों का सामना नहीं करना पड़ता। बल्कि उपयोग कर्ता के जीवन के सभी उपद्रव शांत होकर सुख से जीवन व्यतीत कर सकते है।
आप अपनी ज़िन्दगी के नायक क्या महानायक बन सकते हो। दिल में ख़ुशी होना जरूरी है जिन्दगी की खुशहाली के लिए।
हमे जन्म लेने के पहले गिनती की सांसे मिलती है। पर हम गुस्से मै डिप्रेशन में जलन की भावना में जल्दी जल्दी सांस लेते हैं और हमारी सांसों की गिनती जल्दी खत्म होने से मृत्यु भी हो सकती हैं।
कुदरत का नियम है जो भी हम लेते है उसे लौटाना जरूरी है। चाहे वह सांस ही क्यों ना हो। हमने जितनी सांस अंदर ली है उतनी बाहर छोड़ना जरुर है।
पर गुस्सा, डिप्रेशन वगैरह में हम सांस अंदर तो लेते हैं पर बाहर छोड़न भूल जाते है। अंदर ऑक्सीजन तो लेते पर बाहर कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ नहीं पाते इससे शरीर में टॉक्सिक जमा होना शुरु हो जाता हैं।
जो कि बीमारी का रूप धारण करके शरीर से बाहर निकल कर आता है और भी डिटेल सूर्य नाड़ी और चन्द्र नाडी के बारे में जानकारी है वीडियो में ऐसे जानकारी जो आपको किसी ने नहीं बताई होगी वीडियो जरूर देखिए बहुत बहुत धन्यवाद्।
Conclusion
मैंने अपने आध्यात्मिक सफर में जो अनुभव किया और सांसों का हर वक्त और हर स्थान जो महत्व है वह मैने प्रस्तुत करने की कोशिश की है। पहले experience करिए फिर मुझसे जरुर share करे और हां ऐसी जानकारी शायद ही कोई दे पाएंगे जो मैने दिया है।
🙏🙏🙏🙏🙏 हरे कृष्ण राधे कृष्ण
ॐ नमः शिवाय